जातीय जनगड़ना | जाति आधारित जनगड़ना | Caste Based Census Meaning

जातीय जनगड़ना | जाति आधारित जनगड़ना |  Caste Based Census Meaning , Need , Advantage and Disadvantage | 


आप Caste Based Census समझने से पहले आप  यह  समझ ले कि यह Census  क्या है ? आपने अकसर सुना होगा "सेन्सस 2011 के अनुसार " ऐसे शब्द आपने जरूर सुना होगा। 

सेन्सस क्या होता है | What is Census 

सेन्सस एक अंग्रेजी शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ होता है -- जनगड़ना। 

देश की जनसँख्या की गड़ना / गिनना ही , जनगड़ना कहलाता है।


Caste Based Census


जनगड़ना से जुड़े कुछ तथ्य : 

  1. यह भारत में प्रत्येक 10 साल में एक बार कराया जाता है जिससे देश की पूरी जनसँख्या का एक आकड़ा मिल जाता है। और साथ ही किस राज्य या प्रदेश की कितनी जनसँख्या है उसका आकड़ा मिल जाता है। 
  2. इस जनगड़ना से यह पता चल जाता है कि भारत देश की जनसँख्या कितनी तेज़ी से बढ़ रही है और आने वाले समय में हमे कितने रेसोर्स , रोज़गार व इंफ्रास्ट्रक्चर ( सड़क , हाइवेज , फ्लैट , हॉस्पिटल , खाद्यान और उद्योग ) की जरूरत है। 
  3. और साथ ही यह आकड़ा हमे बताता है कि हमे इसपर रोक लगानी है इसे सिमित करना है जिससे इस जनसँख्या विस्फोट के प्रभाव को कम कर सके ( भारत पूरे विश्व में जनसँख्या की दृस्टि से दुसरे नंबर पर है ) 

अब आप सेन्सस समझ  गए होंगे अब बात आती है कि Caste Based Census क्या होती है / जातीय जनगड़ना क्या होती है ? आइये इसे भी समझते है। 

Caste Based Census क्या  है | What is caste based census : 

देश में उपस्थित जनसँख्या का जाति के आधार पर गड़ना / गिनती करना ही , जातीय जनगड़ना कहलाता है। 

आज कल आपने न्यूज़ में जरूर सुना होगा कि कई प्रदेशो / राज्यों से जातीय जनगड़ना की बात उठ रही है ( इसमें बिहार के कई बड़े नेता भी इसके  समर्थन में है उनका कहना है कि जातीय जनगड़ना होनी चाहिए।  इससे समाज के पिछड़े , दबे व वंचित वर्ग को बहुत लाभ होगा , उनके स्तर को उठाने व समाज के  बराबरी में लाने में बड़ा योगदान होगा और ऐसा 2021 में होने वाली जनगड़ना में ही होना चाहिए उनकी मांग है। 

नोट : 

  1. जातियों के आधार पर जनगड़ना 1931 से पहले हुआ करता था , लेकिन 1941 के बाद से इससे रोक दिया गया है।                                                                                                                                    
  2. 2011 में यूपीए के द्वारा एक बार  सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना की गयी थी लेकिन उस डाटा में काफी गलतियों व कमियों की वजह से उसका डाटा भी छापा नहीं गया है।                             
  3. obc वर्ग की जनसँख्या की कोई जानकारी नहीं है बस अंदाजा लगाया जाता है की यह 52 % है।  
  4. मंडल कमीशन ( जो अधिदेश करता है सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग को ) उनके अनुसार obc की जनसँख्या लगभग 52 % है।                                                                                   
  5. यदि स्कूल के नामांकन डेटा को आधार माना जाये तो 45 % obc की जनसँख्या बताई जाती है। 

जैसे कि हर सिक्के के दो पहलु होते है उसी प्रकार प्रत्येक क्रिया की भी दो पहलु होते है सकारात्मक और नकारात्मक यह आप पर निर्भर करता है की आप उसे किस नजरिये से देखते है .

आज मैं इसे दोनों अर्थात जातीय जनगड़ना के लाभ और इससे होने वाले हानि और साथ ही इसमें आपको यह भी जानने को मिलेगा कि केंद्र सरकार 2021 की जनगड़ना में क्यों इसे शामिल नहीं करना चाहती है। 

जातीय जनगड़ना के सकारात्मक प्रभाव | Advantage of caste census 

  • बेहतर नीति निर्माण : जाति आधारित जनगड़ना के होने से सरकार को उस क्षेत्र या राज्य के लोगो कि जाति का पता चल जायेगा और उनकी जाति या वर्ग को केंद्र में रख कर बेहतर नीतियाँ बनाई जाएँगी और उनका जमीनी स्तर पर लागू होना भी आसान होगा।                                              
  • पिछड़े वर्ग की पहचान : किसी क्षेत्र की जनगड़ना वहाँ रह रहे लोगों की जातियों के आधार पर हो , तब सरकार आसानी से पिछड़े व दबे हुए तबके को पहचान लेगी और उन्हें उठाने में भी सक्षम रहेगी।                                                                                                                                
  • बेहतर कल्याण योजना : जब प्रशासन के पास उनके क्षेत्र में रह रहे लोगो का लेखा जोखा होगा तब वे उनकी स्थिति व परिस्थिति के अनुसार ही नई कल्याणकारी  स्कीमे बना कर उन्हें लागू करने में भी आसानी होगी।                                                                                                             
  • गरीबो व पिछड़ी जातियों के कल्याण व उन्हें रोज़गार देने के लिए उन्हें समाज में बराबरी पर लाने के लिए जातीय आधारित जनगड़ना आवश्यक है।                                                                
  • कुल जाति का लेखा जोखा होने से सरकार उनकी समस्याओ को बेहतर रूप से समझ पायेगी और उन्हें उस समस्याओ से निकलने में योगदान भी दे सकेगी ( जैसे - स्लम एरिया के लोगो की मुख्य मुसीबत - खाना , रोज़गार , घर पानी आदि है )                                                                
  • अगर सरकार को इनकी मात्रा पता चल जाये तो वे इनको सुविधाएं दे सकती है। 

जातीय जनगड़ना के नकारात्मक प्रभाव | Disadvantage of Caste based census 

  • सामाजिक घर्षण : जातीय जनगड़ना  होने से पूरे देश के लोगो को पता चलेगा की किस जाति के लिटने लोग है उनमे से कौन बहुसंख्यक है या कौन अल्पसंख्यक है जिससे क्षेत्र के बहुसंख्यक लोग अल्पसंख़्यको को परेशान करेंगे या अन्य तरीको से सतायेंगे।                                                                                                                                                                                                             
  • जातीय आधारित राजनीति : जाति के अनुसार गड़ना होने के बाद सभी नेता अपने वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए काम करेंगे और उनका मकशद यह होगा की कैसे ज्यादा जनसँख्या वाली जाति को लाभ मिले और उन्हें कैसे फायदा पहुंचाया जाये जिससे लोग उन्हें ही वोट दे।                                                                                                                                                                   
  • समाज में जाति विभाजन को बढ़ावा मिलेगा : जैसा की भारतीय  संविधान  में यह प्रावधान है कि समाज में बराबरी को बढ़ावा देना है।  लेकिन , यहाँ जातीय जनगड़ना से जातियों में बटवारे को बढ़ावा मिलता है। 

केंद्र सरकार का पक्ष - जातीय जनगड़ना के खिलाफ | why centre government is against caste census : 

  • सरकार का यह भी कहना है की संविधान में सिर्फ जनगड़ना करने और उसमे ( SCs , STs ) की ही गड़ना की बात कही गयी है - रजिस्टार जनरल को और जनगणना आयुक्त को , और obc  की गड़ना का कोई जिक्र भी नहीं है।                                                                                    
  • जनगड़ना की प्रक्रिया वर्ष के 2 - 3 वर्ष पूर्व ही शुरू हो जाती है और वर्ष 2021 में होने वाली जनगड़ना की प्रक्रिया व ढांचा तैयार कर लिया गया है और उसमे बदलाव करके दुबारा तैयार करना सरल नहीं होगा।                                                                                                                        
  •  केंद्र सरकार का कहना है कि 2021 की जनगड़ना में जातीय जनगड़ना को शामिल करने से प्रशासनिक, परिचालन और तार्किक दृस्टि से यह संभव नहीं है ,  यह प्रयास जनगणना के प्रक्रिया के  लिए  भी खतरा हो सकता है।                                                                                                       
  • केंद्र का यह भी कहना है कि अगर यह जातीय जनगड़ना की भी जाये तो कौन सी  जाति सूची को आधार बनाया जाये क्योंकि केंद्र की सूची के अनुसार OBC में 2479 जातिया है लेकिन सभी राज्यों और केंद्र शाषित प्रदेशो की सूची के अनुसार OBC में 3150 जातीया है तो इतना ज्यादा अंतर होने की वजह से भी भारत सरकार उलझन में है।                                                                  
  • केंद्र सरकार का कहना है की जब यह जनगड़ना की जाएगी उसमे जो सवाल पूछे जायेंगे तो उसमे से कुछ अपनी गोत्र / वंश या कोई उप जाति बता देगा तो इस तरह से जो जनगड़ना का डाटा होगा वह गलत होने की भी सम्भावना है।                                                                                  
  • जो लोग इस जनसँख्या की गड़ना करते है वे किसी अन्य कार्य के लोग होते है बस उन्हें 6 - 7 दिनों की ट्रेनिंग कराने के बाद भेज दिया जाता है तो इससे वे सही से जातियों को पता लगाने में भी कठिनाई होती है।                                                                                                                                                                                                                      

अन्य लोगों द्वारा दिए गए तर्क : 

  • भारतीय समाज का अंतिम लक्ष्य है कि हम जातिविहीन समाज की ओर बढे , लेकिन ऐसा होने से समाज में जातीय विविधता को बढ़ावा मिलेगा।                                                                            
  • कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोग समाज के निचले स्तर के लोगो को मिल रहे सुविधावो का लाभ उठाने के लिए अपनी जाति ही गलत बता दे।                                                                           
  • जातियों के आधार पर राजनीति को भी बढ़ावा मिलेगा नेता लोग ऐसी जाति की टारगेट करेंगे जिससे उन्हें ज्यादा फायदा मिले। 

निष्कर्ष : आशा है कि आपको आपके सवाल का जवाब मिल गया होगा और आप अपने विचार भी कमेंट के माध्यम से मुझे जरूर बताये। 

FAQs : 

१. जनगड़ना क्या होती है ? 
देश की जनसँख्या की गड़ना / गिनना ही , जनगड़ना कहलाता है।

२. जातीय जनगड़ना क्या होती है ? 
देश में उपस्थित जनसँख्या का जाति के आधार पर गड़ना / गिनती करना ही , जातीय जनगड़ना कहलाता है। 

३. जनगड़ना कब कब होती है ?
जनगड़ना प्रत्येक 10 सालों में एक बार होती है , जैसे 2011 में हुई थी और 2021 में होना है। 

४. जातीय जनगड़ना के फायदे क्या क्या है ? 
  1. बेहतर नीति निर्माण 
  2. पिछड़े वर्ग की पहचान
  3. बेहतर कल्याण योजना
५. जातीय जनगड़ना के नुकशान क्या क्या है ? 
  1. सामाजिक घर्षण 
  2. जातीय आधारित राजनीति
  3. समाज में जाति विभाजन को बढ़ावा मिलेगा 

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