मृदा संरक्षण और उनके उपाय | soil coservation 7 tips

मृदा संरक्षण और उनके उपाय   | Soil Conservation Methods 


BY -DIVYANSHU_VERMA 


मृदा संरक्षण और उनके उपाय
   मृदा संरक्षण और उनके उपाय



मृदा संरक्षण :

 मिट्टी के कटाव को रोकना और उसकी उर्वरा शक्ति को बनाए रखना ही मृदा संरक्षण कहलाता है। 

 जमीन की ऊपरी सतह की मट्टी को अपनी जगह से दुसरे स्थान पर जाने से रोकना और उनकी उपजाऊपन को बनाये रखना ,ही मृदा संरक्षण कहलाता है। 


मृदा संरक्षण के कुछ उपाय | Soil Conservation method |


 मृदा संरक्षण के उपाय हो सकता है आपको पहले से ही पता हो या आपको देखने को मिल जाएंगे क्योकि यह बहुत ही साधारण हैं लेकिन इसे आप को ध्यान देना होगा और मिटटी को छार होने से रोकना होगा।

मिट्टी में उर्वरा शक्ति को बनाए रखना बेहद ज़रूरी है  इसी वजह से हमे  भोजन पानी तक मिलता है तो यह हमारी  जिम्मेदारी है कि हमे इसे नष्ट होने से  बचाएं  :

  • वृक्षारोपण :  हमें ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाने चाहिए क्योकि वृक्ष की  जड़ मिटटी को बांध कर रखती  हैं और मिट्टी की ऊपरी परत को बहने नहीं देती है।                                                              
  • खेतो की मेड़बंदी : हमे खेत  के चारों ओर से ऊंची मेड़बंदी करनी चाहिए। मेड़बंदी होने से वर्षा के पानी के साथ-साथ मिटटी  बाहर नहीं जाती।                                                                       
  • मिट्टी को समतल करना : जुताई करवाने के बाद खेतो को लेवेलेर जरूर करवाए क्योंकि  जब गर्मियों के मौसम में जब जुताई करवाने के बाद मिटटी भुरभुरी हो जाती है तो वह आसानी से हवा के साथ  भी उड़ जाती है।                                                                                                
  •  पर्वतीय क्षेत्र में सीढ़ीनुमा क्षेत्रों का निर्माण : पर्वतीय क्षेत्र /भागों में खेतों में ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है वहां कभी खेत  बराबर नहीं होते हैं और वहां खेत  बराबर ना होने के कारण/ढालू होने के कारण  पानी का वेग बहुत तेज़ होता है  जिसके कारण मिट्टी का कटाव सबसे ज्यादा वहीं पर होता है इस मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए पर्वतीय भागों में सीढ़ी नुमा खेत  बनाकर खेती करने चाहिए। सीडी नुमा खेती करने से हमारे दो फायदे होंगे पहला हमें हमारे खेत की मिट्टी नहीं कटेगी और दूसरा हमारा फायदा भी होगा हम अपने अनाज को भी ऊगा पाएंगे।           
  • जैविक खादों का प्रयोग : किसी  रासायनिक गुणों वाले रासायनिक खाद के साथ-साथ जैविक खाद का भी प्रयोग करें।रासायनिक खादों का लगातार प्रयोग होने से खेत की PH मान साधारण से बढ़ या घट जाता है और खेत में पैदावार भी प्रभावित हो जाती है।  मिट्टी की ऊपरी सतह में  जैविक खाद डालें जिससे  खेत में ह्यूमस (धरण )की मात्रा बढ़ जाती है जो  कि कुछ जरूरी बैक्टीरिया और केंचुआ  के लिए फायदेमंद होता है उनकी जीवित रहने के लिए जरूरी होता है।  
  • चारागाह क्षेत्रों का निर्माण : ग्रामीण क्षेत्र में चारागाह का विकास करना चाहिए क्योंकि उनके चरने से घास कमजोर भी हो जाती है और उनके पैर से भी काफी हद तक मिटटी कट जाती है ,और वह बहने योग्य हो जाति है जिससे मिट्टी का कटना  आसान हो जाता है।                                    
  • खेती के तरीके में बदलाव : हमे मिश्रित और चक्रण खेती करना चाहिए।


निष्कर्ष : अंततः हम सभी लोगो को मिल कर ही काम करना होगा जिससे हम अपनी धरती /पृथ्वी को नस्ट होने से बचा सके ,यह किसी एक लोगो के बस की बात नहीं हम  लोगो को साथ आकर मिलजुल कर इसपर काम करना होगा जिससे हम अपने गृह को बचा सके।

-- आज लोगो को मिटटी के संरक्षण के लिए लोगो को जागरूक करना होगा और विश्व स्तर पर भारत के सधगुरु जी ने " savesoil compaign "  चलाया है 

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