भारत के राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है |

 

भारत के राष्ट्रपति कैसे बनता/चुने जाते हैं?
भारत के राष्ट्रपति कैसे बनता/चुने जाते हैं?

 

 BY-DIVYANSHU VERMA


 

भारत के राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है ?


 


आज आपको इस आर्टिकल के माध्यम से यह जानने को मिलेगा कि भारत के राष्ट्रपति जिसे भारत का सर्वप्रथम व्यक्ति माना जाता है और तीनों सेनाओं का प्रमुख भी होता है .

क्या आप यह जानने के लिए उत्सुक है ?

अगर हां, तो आपको यह पूरा पढ़ना पड़ेगा और मैं दावा करता हूं कि इसे पूरा पढ़ने के बाद आपको राष्ट्रपति चुनाव की विधि / तरीका पूरी तरह से समझ में आ जाएगा। 

राष्ट्रपति उम्मीदवार की योग्यता जानने से पहले आपको यह जान लेना चाहिए की  वर्तमान समय का राष्ट्रपति कौन है ? 

वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद  जी हैं ,जिनका कार्यकाल 25 जुलाई 2017 से अभी तक है। 


राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने की योग्यता :

  • सर्वप्रथम उम्मीदवार को भारतीय नागरिक होना चाहिए। 
  • उम्मीदवार की उम्र 35  साल से उससे अधिक होनी चाहिए। 
  • संसद का सदस्य बनने की योग्यता होनी चाहिए। 
  • किसी भी लाभ के पद पर ना हो। 
  • निर्वाचक मंडल के कम से कम 50 सदस्य प्रस्तावक हो और अन्य 50 सदस्य समर्थन भी करें। 

वोटिंग प्रक्रिया : 

भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां के पदों को जनता के द्वारा वोटिंग करके चुना जाता है , लेकिन राष्ट्रपति का पद जनता द्वारा  चुने गए सभी  सांसद और विधायकचुनते  हैं यह जन्ता  से सीधे रूप से नहीं चुने जाते ,बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। 

जनता द्वारा चुने गए सांसद और विधायक वोट डालते हैं और उन्हें ही निर्वाचक  मंडल कहा जाता है।  

कुल सांसदों की संख्या = 543(लोकसभा) + 233 (राज्य सभा) =>776 सांसद होते हैं। 

कुल विधायकों की संख्या = 4120  

कुल निर्वाचक की संख्या = 4896 

वोट की कीमत :

दोनों निर्वाचक के वोट की कीमत निकालने के लिए फार्मूला बनाया गया है ,जिसके प्रयोग से सांसद और विधायक के प्रत्येक वोट की कीमत निकाली जाती है और उसी अनुसार उनकी गिनती की जाती है। 

विधायक के वोट की कीमत = राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की जनसंख्या /
                                                       ( निर्वाचित विधायकों की संख्या * 1000 )


नोट : वोट का मूल्य निकालने के लिए 1971 को ही आधार बनाया गया है जिससे कि जो राज्य जनसंख्या पर कंट्रोल कर रहे हैं उनका कोई नुकसान न उठाना पड़े। 


सांसद के वोट की कीमत =  सभी विधायकों के वोट की कीमत ( 549495 ) /
                                                (लोकसभा और राज्यसभा सदस्य की संख्या 776)


 #.  एक सांसद के  वोट की कीमत  = 708 
 #.  तो सभी सांसद की वोट की कीमत =  776*708 = 549408 


  •  सांसद हरे रंग के मतपत्र से वोट डालते हैं। 
  • विधायक गुलाबी रंग के मतपत्र से वोट डालता है। 
  • किसी विशेष पेन  को चुनाव आयोग चुनता है (जैसे इस साल बैगनी  चुना गया था) उसी पेन  से दिए गए वोट ही मान्य होंगे। 
  •  एक व्यक्ति एक ही वोट  डाल सकता है। 
  • अगर दो से ज्यादा उम्मीदवार हैं तो मतदाता अपनी प्राथमिकता बता सकता है। 


वोटों की गिनती :


  • उम्मीदवार  को जीतने के लिए पहली प्राथमिकता वाले 50% या उससे ज्यादा वोट मिलने चाहिए। 
  • किसी के भी पास 50% वोट न होने पर सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीद्वार को बाहर कर दिया जाता है। 
  • उम्मीदवार की दूसरी पसंद के वोट बचे हुए उम्मीदवार के खाते में  ट्रांसफर किए जाते हैं। 
  • अब  जिस भी उम्मीदवार को तय वोट मिल जाते हैं , वो विजयी  माना जाता है। 
  • अगर , अभी भी तय वोट नहीं मिल पाते तो वोट ट्रांसफर की  प्रक्रिया को दोहराया जाता है और उन्हें चुन  लिया जाता है। 
नोट :  राष्ट्रपति अगर कोई भी संविधान का उल्लंघन करता है तो उसे महाभियोग (IMPEACHMENT ) से  हटाया जा सकता है। 


 इस प्रक्रिया में STV (SECRET BALLOT PAPER ) एक ख़ास तरह से वोटिंग की जाती है जिसमे वोटर अपनी पहली दूसरी पसंद बताता है और अगर पहली पसंद वाले वोटो से कोई उम्मीदवार नहीं जीता तो वोटर की  दूसरी पसंद को उम्मीदवार के खाते में नए वोट के जैसे डाल दिया जाता है। 

एक बार राष्ट्रपति बनने के बाद उन्हें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया / सुप्रीम कोर्ट के जज के सामने शपथ   लेना पड़ता है। 


राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियां :


  • राष्ट्रपति किसी अपराधी का  मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने की शक्ति रखता है। 
  • दंड की प्रकृति कठोर से हटाकर नम्र कर सकता है। 
  • दंड में कमी ला सकता है लेकिन वह विशेष आधार पर। 
  • बिना प्रकृति को बदले ,दंड की अवधि को घटा सकते है। 
  • दंड प्रदान करने में विलम्बन  कर सकते हैं (मुख्यता मृत्युदंड मामले में)


 राष्ट्रपति के तीन प्रमुख वीटो शक्तियां : 


कोई भी बिल बिना राष्ट्रपति की स्वीकृति के पास नहीं हो सकता। इन शक्तियां का संसद द्वारा पारित विधेयक को रोकने से संबंधित है , किसी भी विधेयक/बिल को पारित /कानून बनने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी है। 

इन तीन वीटो पावर को विस्तार में समझते हैं , आत्यंतिक वीटो , निलंबनकारी वीटो ,और पॉकेट वीटो। 

  1. आत्यंतिक वीटो या Absolute veto :  इस वीटो  शक्ति  के प्रयोग से राष्ट्रपति अपने निर्णय को सुरक्षित कर लेता है , जिससे वह विधेयक कानून  नहीं बनने  पाता है।                                               
  2. निलंबनकारी वीटो या Suspending veto : इस वीटो पावर का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति किसी विधेयक को संसद में दोबारा पुनर्विचार के लिए भेजता है। लेकिन दोबारा पुनर्विचार के लिए भेजी गई विधेयक  सांसद से लौट कर आने पर  राष्ट्रपति को सहमति देनी ही पड़ती है.                                              
  3. पॉकेट वीटो या POCKET VETO : इस वीटो शक्ति का प्रयोग करते हुए कोई भी भारत का  राष्ट्रपति होते हुए ,वह किसी भी विधेयक को बिना पुनर्विचार के लिए भेजे ,वह जब तक चाहे अपने पास रख सकता है इसकी कोई समय सीमा नहीं है। 

निष्कर्ष     :  आज हम इस आर्टिकल में  भारत के राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है ? ,उनकी योग्यता ,प्रमुख शक्ति , वोटिंग प्रक्रिया को जाने है। 

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