पर्यावरण पर संकट और उनके उपाय | Environmental crises and their remedies

 पर्यावरण पर संकट और उनके उपाय | Environmental crises and their remedies .



 पर्यावरण पर आज चारों ओर से संकट है और इस संकट को जल्द ही दूर नहीं किया गया या तो  कम नहीं किया गया ,तो यह मानव सभ्यता को  विशेष प्रकार से हानि पहुंचा सकती है . 

 आप देखते होंगे कि जिस तरह से शहरीकरण हो रहा  है और जनसंख्या में वृद्धि हो रही है ,ये ही पर्यावरण पर संकट के  प्रमुख कारण है और ये बढ़ी हुई जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए लोग प्रकृति का हनन कर रहे है  . 

इसका  प्रभाव आपको अपने चारो ओर देखने को  भी मिलता  है :-

  • ज्यादा गर्मी होना 
  • समय-समय पर बारिश का ना होना 
  • दूषित वायु  
  • खेतो का उनुपजाउ होना 
  •  जानवरों का विलुप्त होना 
  • पंछियों का कम होना
  •  पेड़ों में फल-फूल ना आना
  •  नई नई बीमारियों का आना ,आदि। 

 प्राकृतिक आपदा जैसे-भूकंप ,बाढ़ , तूफान , सूखा ,आदि।

  सब हमे सतर्क कर रहे हैं लेकिन कोई समझ ही नहीं रहा है और सभी प्राकृतिक को नुकसान पहुंचाने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। 

अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा आखिर हमे विकाश भी करना है और साथ में प्रकृति का हन्नन भी न हो तो कैसे - तो आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे। 

पर्यावरण पर संकट : 



पर्यावरण पर संकट  और  उनके  उपाय
पर्यावरण पर संकट  और  उनके  उपाय

 शहरीकरण कैसे हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है ?

शहरीकरण का अर्थ है " बड़े-बड़े शहरों की जीवनशैली व सभ्यता को अपनाना ही सहरीकरण कहलाता है " 

आज छोटे-बड़े गांव ,कस्बों आदिपर  शहरों के प्रभाव देखने को मिलता है आज गांव कस्बों के बीच से चौड़ी सड़क बन रही है जिससे सड़क के किनारे पेड़ और खेत भी नष्ट हो रहे हैं। 

 पहले जहां सड़कें पतली होती थी और उनके बगल पेड़ लगे होते थे जिससे राहगीरों को छाया मिले वहां आसानी से जाया जा सके, लेकिन आज सभी लोग सड़क के किनारे शहर की नकल करते हुए पेड़ काटकर घर  या तो दूकान बना रहे है। 

 पहले तो सिर्फ शहरों में ही पर अब तो गांव कस्बों में भी लोग ज्यादा से ज्यादा पक्की नाली ,द्वार आदि बनवाते है और पक्की होने के कारण बारिश का पानी अंदर न जा कर नाली के रास्ते समुद्र में चला जाता है।

 पहले गांव के लोग पैदल या फिर साइकिल से दूरी तय करते थे लेकिन शहरीकरण का ऐसा प्रभाव है कि गांव के लोग  पैदल चलना पसंद ही नहीं करते है ,

अब शहरों की तरह बाइक से चलते हैं जिससे ईंधन तो नस्ट  हो ही रहा है और साथ ही प्रदूषण भी बढ़ रहा है और हमारे यहां का तापमान  भी बढ़ रहा है। 

पर्यावरण पर संकट  -जनसंख्या

जनसंख्या वृद्धि से कैसे  प्रकृति को नुकसान है ?

 -जैसे-जैसे जनसंख्या वृद्धि होगी उसी अनुसार लोगों की जरूरतें में भी वृद्धि होगी जहां पहले दो लोग थे आज वहां चार हैं या उससे ज्यादा होंगे तो उनकी जरूरतें बढ़ती जाएंगी और पृथ्वी का क्षेत्रफल  तो बढ़ नहीं रहा है 

बल्कि  उस पर रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है तो बाकी लोगों के रहने की जगह जंगलों को काट कर ,फसलों के खेतों में जगह बनाने से आएगी और भी सारी जरूरतें भी बढ़ गई है जिससे पर्यावरण को ही झेलना  होगा। 

निश्चित ही अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा   कि अगर कोई चीज करने से पर्यावरण को नुकसान ही है तो हम करें क्या ?

आप का यह  सोचना  बिल्कुल जायज है , क्योंकि अगर आप प्रदुषण  को देखकर अपनी बड़ी मशीनों का प्रयोग नहीं करेंगे तो आप विकास की दुनिया में पीछे रह जाएंगेतो अब आप पूछेंगे कि हम करें क्या ? 

आपको Sustainable Development (सतत विकाश ) करना चाहिए  सतत विकाश का अर्थ होता है- "बिना प्रकृति को नुकसान पहुचाये विकास करना है"


पर्यावरण पर संकट - जंगलो की सफाई 


आज की सबसे घातक समस्या है लगातार पेड़ काटने  की समस्या और इसका  उपाय यही है कि लोगों को जागरूक किया जाए जिससे लोगों को पेड़ के प्रति मानवता और दया की भावना हो  कि पेड़ भी हमारे जीवन का एक हिस्सा है . 

 हमें उन्हें जरूरत के अनुसार ही काटना चाहिए और उन्हें काटने के स्थान पर हमें नए पेड़ जरूर लगा दे जिससे कटे हुए पेड़ की कमी पूरी की जा सके।  

नोट :  कुछ लोगों को लगता है  कि हमारे एक पेड़ काटने से क्या हो जायेगा ? तो  को ये जानना बहुत जरूरी है की एक पेड़ का हमारे जीवन में क्या योगदान है। आइए तो समझते हैं कि इनका क्या योगदान होता है :-

  1. पेड़ हमें ऑक्सीजन ( प्राण वायु )देता है।
  2.   वातावरण में व्याप्त को कार्बन डाइऑक्साइड को सोखता  है  जो कि हमारे वातावरण का तापमान बढ़ने का जिम्मेदार है।   
  3.   पेड़ हमे  लकड़ी, फल -फूल व छाया  देता है। 
  4. पेड़ पशु -पक्षियों को रहने का बसेरा देता है ,उसमें पक्षी अपना घोंसला बनाती है और उसी में रहती  हैं अपना जीवन यापन करती है। 
  5.  पत्तियों व जड़ो का प्रयोग जड़ी-बूटी के रूप में प्रयोग किया जाता है। 
  6. पेड़ों  का बारिश कराने में भी कुछ प्रतिशत योगदान रहता है। 
  7. पेड़ों की मुख्य बात तो यह होती है कि आप कोई भी पेड़ लगाने के दो-तीन साल देख रेख  करनी पड़ती है और उसके बाद आप 50 साल से भी ज्यादा निस्वार्थ सेवा प्रदान करता है। 

 पर्यावरण पर संकट के कम करने के कुछ उपाय -

वह उपाय  कभी न खत्म होने वाला श्रोत  है जैसे - सोलर। ईंधन (पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल, कोयला ,LPG  , CNG  आदि ) यह सब सीमित स्त्रोत है इनके खत्म होने से  पहले हमें किसी ऐसे श्रोत पर निर्भर  होना पड़ेगा जो इनका विकल्प हो  और नुकसान भी ना करें। 

सोलर पैनल का प्रयोग :-



पर्यावरण पर संकट  और  उनके  उपाय
पर्यावरण पर संकट  और  उनके  उपाय 



आप लोग कही न कही देखें ही होंगे की एक सोलर पैनल को धूप में  रख दें जिससे वह सोलर ऊर्जा को विद्युत में बदल देगा जिससे आपको विद्युत का प्रयोग चाहे तो तुरंत कर सकते हैं नहीं तो उसे बैटरी में जमा कर उसके बाद में उसका प्रयोग कर सकते हैं। 

और अभी तक ईंधन  से चलने वाले इंजन का स्थान विद्युत से चलने वाले मोटर ने ले ली है आप इसके प्रयोग देख सकते हैं जैसे कि ई- रिक्शा, इलेक्ट्रिक कार, इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर ,का प्रयोग कर सकते हैं। 

 सोलर पैनल का प्रयोग कर सकते हैं घर के सारे काम (विद्युतीय काम) कर सकते हैं यह यंत्र इसलिए ज्यादा कारगर और सफल है क्योंकि इसके प्रयोग से कोई हानिकारक गैस या कोई अवशेष नहीं बचता। 

और यह कभी न खत्म होने वाला श्रोत भी है। 

 इसके प्रयोग में आने वाली मुश्किल है :

1. यह सोलर पैनल काफी महंगा पड़ता है जो कि सामान्य या मध्यम वर्ग के लोगों के लिए ले पाना मुश्किल हो जाता है। 

2.  यह सिर्फ धूप में ही चलता है ,बारिश के दिनों में यह पूर्ण रूप से कार्य नहीं कर  पाता है। 


 गोबर गैस प्लांट : 



पर्यावरण पर संकट  और  उनके  उपाय
पर्यावरण पर संकट  और  उनके  उपाय 



कुछ समय पहले इस तकनीक का प्रयोग बड़े पैमाने पर  किया जाता था लेकिन आज के दिनों में इसका प्रयोग नहीं किया जाता। 

 गोबर गैस प्लांट में एक बड़े गड्ढे बनाए जाते थे जिसमें बाकी सारी जोड़ तार  से की जाती थी।  उसके बाद  गोबर डालकर घोल दिया जाता था जिससे उसमें से उर्जा उत्पन्न होती थी। 

 आप उस  ऊर्जा का प्रयोग प्रकाश के लिए आदि कर सकते हैं और इससे यह फायदा होता है कि रासायनिक तत्त्व   निकल जाते हैं और आप उसे अपने खेतों में खाद के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। 

इसका  ज्यादा प्रयोग न होने के कारण -

1. इससे  ज्यादा चीजें या भारी उपकरण  नहीं चल सकती थी। 

2. इससे विद्युत् उत्पादन बहुत कम होता था। 

3. इसका प्लांट बहुत बड़ा होता था और  ज्यादा स्थान घेरता  है। 

4. इसे चलाने के लिए रोज रोज गोबर की व्यवस्था करनी होगी साथ ही समय-समय पर खाद को निकालना पड़ेगा। 

 

हाइड्रोजन गैस का ईंधन के रूप में प्रयोग : 

ग्रीन हाइड्रोजन गैस का प्रयोग भविष्य में सबसे सार्थक साबित होने वाला है और इसे भविष्य का ईंधन भी कहा जाता है।  इसमें हाइड्रोजन का उत्पादन किसी नवींकरणीय श्रोतो से किया जाता है और इसके प्रयोग से कोई अन्य गैस नहीं निकलती है ,

ग्रीन हाइड्रोजन के बारे में विस्तार से पढ़े - क्लिक करे। 


अतः ऊपर दिए गए उपाय भी पूरी तरह से कारगर नहीं है यह सभी दिक्कतों को खत्म नहीं कर सकते यह दोनों उपाय कुछ दिक्कतों को खत्म कर सकते हैं जिससे प्रदूषण काफी हद तक कम हो जाएगा। 

निष्कर्ष : 

 तो आप थोड़ी सी  लकड़ी की लालच में पेड़ काटने से कितना नुकसान कर रहे हैं आप अपनी प्रकृति के प्रति अपना कर्तव्य समझे और पेड़ो को काटना बंद करे।  आज आप स्वतंत्र हैं आप कुछ भी करे अपने पेड़ के साथ लेकिन प्रकृति की जिम्मेदारी भी आप के ऊपर ही है तो आज आप सपथ लीजिये की आज के बाद हम पूरी कोशिश करेंगे कि हम पेड़ काम से काम पेड़ काटे। 

 इसे भी पढ़े : 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.