सावधान !! स्वास्थ्य के लिए फिट नहीं RO का पानी

 सावधान !! स्वास्थ्य के लिए फिट नहीं RO का पानी


BY-DIVYANSHU-VERMA 

स्वास्थ्य के लिए फिट नहीं RO का पानी
 स्वास्थ्य के लिए फिट नहीं RO का पानी




 स्वागत है, आप सभी का एक नए आर्टिकल  में जिसमें मैं आपको स्वास्थ्य संबंधित  एक प्रमुख विषय (RO का पानी )पर चर्चा करुंगा। 

इस लेख के मध्यम से मैं यह बताऊंगा कि आपकी रोज की दिनचर्या  और आपके स्वास्थ से जुड़ा एक अहम् हिस्सा पीने का पानी  कितना शुद्ध  व लाभदायक है। 

आज के ज्यादा से ज्यादा शहरी  लोग RO का पानी का प्रयोग करते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसका  चलन बढ़ा जा रहा है ,इसके चलन का इतनी तेजी से बढ़ना कहीं - कहीं तो जरूरत है लेकिन कुछ लोग इसका प्रयोग  फैशन मानते हुए भी करते है।

आज का समय दिखावे  का युग  है और लोग एक दसरे को दिखाने  के लिए स्वयं भी इस स्थिति के शिकार हो रहे हैं , मैं आपको बता दूं की आपको इस पूरे आर्टिकल में RO का पानी से जुड़े सभी प्रश्नो के जवाब मिल जायेंगे और सबसे मुख्य प्रश्न जो सबके दिमाग में आता है 

प्रश्न - RO(रिवर्स ओसमोसिस ) जो की पानी को शुद्ध करने की प्रक्रिया है ,लेकिन क्यों इस प्रक्रिया को या RO का पानी पर बैन लगने की नौबत आ गयी ?

 मैं ये प्रश्न और इससे जुड़े  सभी प्रश्नों के जवाब इसी लेख में  मिल जाएंगे। 

  शुद्ध जल क्या है ?

 पुराने ग्रंथो व वेदों  के अनुसार  शुद्ध जल की परिभाषा है ,वह जल जो शीतल हो ,(अर्थात ठंडा हो ) ,शुद्ध (अर्थात साफ हो ) ,परदर्शी  व खनिज युक्त  हो , उसे हम शुद्ध जल कहते हैं। 

अब बात आती है RO का पानी  क्या है और इसके  फायदे व  नुक्सान क्या है ? अतः इसकी जरुरत हमें क्यों पड़ी ?

RO का पानी क्या है ? 

RO वाटर को सॉफ्ट वाटर  भी कहा जाता है ,RO का पानी  का मतलब है ,रिवर्स ऑस्मोसिस( REVERSE OSMOSIS ) प्राक्रिया से शुद्ध बनाया गया पानी।  यह एक प्रक्रिया  है ,जिसमे  पानी को मशीन के अंदर उच्च दबाव पर उलटी  दिशा में बहाया  जाता है जिस से  पानी में से असुद्धियों  ( जैसे - हानिकारक खनिज , हानिकारक तत्त्व ( क्लोरीन ,आर्सेनिक ) ,बैक्टीरिया ,वायरस बालू )   को बाहर  निकाल  दिया जाता है ,और उसे  इस्तेमाल करने योग्य शुद्ध बनाया जाता है। 

अब आप यह सोच रहे हैं कि हमें RO का पानी की जरूरत  क्यों पड़ी ? 

RO का पानी की जरुरत : 

हमे RO के  पानी की जरूरत इसलिए पड़ी  क्योंकि कई शहरों का पानी खराब ,गन्दा व  अजीब बदबू  करने वाला निकलता है ,आप को पता होगा कि सारे  खानिज ,धातु जमीन के अंदर से ही निकलते है  और पानी  भी जब जमीन से निकाला जाता है तो जिस स्थान पर जिस भी तत्त्व  की अधिकता होती है वह वहां के पानी में घुल  जाता है और आप को पता ही होगा किसी भी वस्तु  की अधिकता  नुकसानदायक   होती है ,

तो ऐसी जगह जहाँ का पानी   शुद्ध साफ़ नहीं है वहाँ की   जरुरत बन चुका है यह RO का पानी। 


नोट : आपको यह जानना बेहद जरुरी है ,कि  पानी में से मिलने वाले खनिज  शरीर के संपूर्ण विकाश और हड्डियों  के लिए बहुत जरूरी है। 



RO वाटर के फायदे व नुकसान : 


फायदे :-

  • RO के  पानी  में से हानिकारक खनिजो को निकला दिया जाता है। 
  • इसमें से वायरस या बैक्टीरिया को भी नस्ट करने के बाद फ़िल्टर करके निकाल दिया जाता है। 
  • तटीय व  खरे पानी वाले क्षेत्रो के लिए यह बहुत ही अच्छा कभी अच्छा  विकल्प है। 
नुक़सान :-

  • कभी- कभी इसके स्वाद को मीठा करने  के चक्कर में टीडीएस की मात्रा  इतना ज्यादा घटा  दी जाती  है कि उसमें कोई भी चीज आसानी से घुल सकती  है। जैसे -प्लास्टिक की बोतल के तत्व। 
  •  शुद्ध करने के नाम पर कभी-कभी पानी को इतना ज्यादा फ़िल्टर करके सॉफ्ट वाटर बना देते है की उसमे से सारे महत्वपूर्ण खनिज व आवश्यक तत्त्व भी निकल जाते है और यह पानी हमारी प्यास को तो बुझा सकता है लेकिन हमारे शरीर की अन्य जरूरतों को पूरा नहीं कर सकता  और इसका  लम्बे समय तक प्रयोग करने से हमारे शरीर व हड्डियों पर  गंभीर प्रभाव दिखा सकता है। 
  •  इस प्रक्रिया में दो-तिहाई तक पानी व्यर्थ होता है।  मतलब 1 लीटर आरओ पानी को तैयार करने के लिए 3 लीटर पानी की जरूरत होती है। 
  •  कई डॉक्टरों का कहना  है कि गंदगी को निकालने के  साथ साथ कई ऐसे  मिनरल  भी निकल जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए जरूरी होते है (जैसे - आयरन ,मैग्नीशियम ,कैल्शियम ,सोडियम ,आदि )  जो हमारे शरिर के लिए जरुरी है और इन मिनरल की कमी  से हड्डियाँ ,लीवर ,किडनी , बीपी और हार्ट  से सम्बंधित  बीमारी तक के होने की संभावना है। इसी कारण से  NGT ( नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ) ने RO के पानी के प्रयोग पर बैन लगाने तक की मांग कर चुका है।                  
  • शोधकर्ता व डॉक्टरों का कहना है कि RO का पानी का लगातर प्रयोग करने से शरीर में विभिन्न  प्रभाव देखने  को मिले है , जैसे - रोग प्रतिरोधक क्षमता का घटना ,पाचन का खराब होना आदि। 

अब बात RO वाटर की हो और टीडीएस  का नाम ना आए तो यह अधूरी जानकारी होगी ;


टीडीएस क्या है ? और  NGT के अनुसार  TDS का क्या स्तर क्या होना  चाहिए। 


टीडीएस (TDS ) का फुल फॉर्म है - टोटल डिसॉल्व्ड सॉलिड्स (Total dissolved solids) है , इसका मतलब होता है पानी में घुले ठोस तत्त्व ,उसे ही  टीडीएस कहते हैं। (जैसे-कैल्शियम ,मैग्नीशियम, क्लोराइड। )

एक तय मत्रा से ज्यादा होने पर यह काफी खतरनाक हो सकता है ,

      TDS level(/ltr)                  Ratings   

  1. 150-300mg             excellent
  2. 300-600mg             good
  3. 600-900mg            fair 
  4. above 1000mg         unacceptable                          


नोट : इस बात का विशेष ध्यान रखे की TDS का स्तर 100mg  से कम और 1000 mg प्रति लीटर से ज्यादा न हो। क्योकि इसका स्तर कम होने से इसमें कोई भी चीज आसानी से घुल सकती है यहाँ तक की इसका सेवन हमारी हड्डियों को भी गला सकता है। 


एनजीटी क्या है और इसका क्या काम है ? 

NGT ( National Green Tribunal या राष्ट्रीय हरित अधिकरण ) की स्थापना 2010 में की गई थी और इसके  स्थापना करने के पीछे यह उददेश्य  था कि यह संस्था पर्यावरण और  प्राकृतिक संरक्षण का काम करेगी और साथ ही प्रकृति को नुकशान पहुंचने वाले तत्वों को सरकार को सूचित करेगा। 

यह  पर्यावरण मंत्रालय को सुचित करता है ,जिससे वह उसपे विचार कर के काम करता है। 

पानी को शुद्ध बनाने के कुछ प्राकृतिक तरीके :-

  1. पानी को उबाल कर पिए 
  2. पानी को घड़े या मटके में रखे इससे वह शुद्ध व साफ होता है और साथ में ठंढा भी बना रहता है। 

निश्कर्ष :-

अंततः मैं आपसे यह कहना चाहता हू कि आप RO लगवाने से पहले अपने क्षेत्र के पानी की जांच जरूर करवा ले जिससे उसमे उपस्तिथ सभी तत्वों व खनिजों की मात्रा का पता चल जायेगा और उसके अनुसार अगर पानी में कोई कमी है तो ही आप RO लगवाए या RO के पानी का सेवन करे ,क्योकि यह पानी न सिर्फ सेवनकर्ता को नुकशान पहुँचता है बल्कि यह पर्यावरण को भी नुकशान पहुँचता है। 

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