जी.डी.पी 2021| GDP 2021|








BY - DIVYANSHU_VERMA 


आज हम इस आर्टिकल  के माध्यम से यह जानेंगे की भारत की क्या  जी.डी.पी रही 2020-2021 में। लेकिन जी.डी.पी 2021 को जानने से पहले आपको इसके बारे में विस्तार से जानना चाहिए की जी.डी.पी होती क्या है ? इसके बढ़ने घटने से क्या तात्पर्य है ? जी.डी.पी का आकलन कैसे करते है ? नॉमिनल और रियल जी.डी.पी क्या होती है ? हमे जी.डी.पी के डाटा की क्या ज़रुरत है ? उसके बाद जी.डी.पी 2020 - 2021 क्या रही ? क्या कारण रहा इसके कम होने का ?


जीडीपी ( सकल घरेलू उत्पाद or Gross Domestic Product ) :


जीडीपी , उस मान  को कहते हैं , जो किसी एक साल में देश में उत्पादन होने वाले सभी सामानों और सेवाओं का कुल मूल्य होता है। 

या  आप ऐसे समझ सकते हैं कि यह किसी देश की साल भर की सभी सेक्टर का प्रदर्शन फल होता है और उसे देखकर आप यह समझ सकते हैं कि इस साल में कौन-से  सेक्टर में अच्छा काम किया हुआ है ? 

 किस सेक्टर में कितना विकास हुआ है ? यह देश की अर्थव्यवस्था को भी दर्शाता है और इसके  साल भर के नतीजे देख कर आप बता सकते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है या घटी है 

भारत में सेंट्रल स्टेटिस्टिक्स ऑफिस साल भर में 4 बार जीडीपी का आकलन किया जाता  है। 3 महीने पर एक बार सभी सेक्टर में (प्राइमरी ,सेकेंडरी ,टर्सीरी ) से पैदा होने वाले सभी सामानों व सेवाओं का आकलन करते है। 

 किसी भी देश में जीडीपी का बढ़ना एक सकारात्मक चिन्ह माना जाता है और देश के लिए यह अत्यंत जरूरी भी  है। इसमें बढ़ोतरी देश की विकास की ओर अग्रसर होना दर्शाता है और देश की समृद्धि और सम्पन्नता को भी दिखाता है।  भारत जैसे बड़े और विकासशील देश के लिए हर साल इसका बढ़ना  बेहद जरूरी है। 


जीडीपी कितने तरह की होती है :

जीडीपी दो तरह की होती है ,पहला नॉमिनल जीडीपी और दूसरा रियल जीडीपी। 

  1. नॉमिनल जीडीपी या नाममात्र जीडीपी : यह  अर्थव्यवस्था में आर्थिक उत्पादन का मापन है ,जिसमे सामान और सेवाओं की वर्तमान कीमत को शामिल किया  जाता है। 
      क्योकि इसमें वर्तमान में सामानो की कीमत को लिया जाता है तो इसे देख कर आप यह जान सकते है की कैसे हर साल में सामानो की कीमत बढ़ रही है और कैसे महंगाई बढ़ रही है।                                                                                                                                
  1. रियल जीडीपी या वास्तविक जीडीपी : वास्तविक जीडीपी के आकलन करने के लिए पिछले किसी आधार वर्ष से तुलना की जाती है और महगाई को भी इसमें शामिल किया जाता है। यह ही सही मायने में अर्थव्यवस्था की जानकारी है। 
  •     वास्तविक जीडीपी  निकालने का फार्मूला =  नॉमिनल जीडीपी /जीडीपी डिफ्लेटर 

जीडीपी के बढ़ने-घटने से आम जनता पर प्रभाव : 

अब तक आपने जीडीपी  को तो समझ ही गए होंगे तो अब आपको जानना चाहिए  कि जीडीपी के बढ़ने या घटने से हमारे ऊपर क्या प्रभाव पड़ेगा :

  • अगर जीडीपी बढ़ रही है  तो आप समझे कि  देश का आर्थिक विकास हो रहा है और सरकार द्वारा लाई गई  नीतियों से जमीनी स्तर पर लोगों को फायदा पहुंच रहा है ,अर्थात देश की अर्थव्यवस्था सुधर रही है।
 
  •  अगर जीडीपी घट रही  हैं ,तो आप समझिए देश का आर्थिक विकास रुक गया है और देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ रही है ,सरकारी नीतियों का जमीनी स्तर पर लोगों को फायदा नहीं पहुंच रहा है ,उसपे ध्यान देने की आवशयक्ता है। 

 

 जब जीडीपी का ग्रोथ अच्छा रहता है तो कारोबारी( भारतीय या विदेशी कारोबारी )ज्यादा निवेश करते हैं और उन्हें लगता है कि हम ज्यादा पैसे कमा पाएंगे ज्यादा निवेश होने से देश में उत्पादन बढ़ेगा और उत्पादन बढ़ने से दूसरे देशो में  निर्यात बढ़ेगा और विदेशी मुद्रा अपने देश आएगी , जिससे अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी और ज्यादा निवेश होने से रोजगार भी बढ़ेगा। 

जब जीडीपी बढ़ने के बजाय घटने लगती है तो  कारोबारी निवेश करने से कतराते हैं क्योंकि उन्हें डर रहता है कि कही उनका पैसा डूब न जाये ,तो फिर ऐसी स्तिथि में  उनका ज्यादा निवेश करवाने के लिए सरकार को काम करना पड़ता है  जिससे जीडीपी बरकरार रहे। 

जीडीपी के डाटा की जरूरत :

  1. जीडीपी के डाटा से सरकार को आने वाले समय में नीतियां ,योजना बनाने में आसानी होती है उस डाटा से सरकार को प्रत्येक सेक्टर के क्षेत्र  के बारे में पता चलता है और वह समझ पाते हैं कि उन्हें किस क्षेत्र  पर ज्यादा काम करने की जरूरत है।                                                               
  2. इसके डाटा के अनुसार कारोबारी अनुमान लगाकर ज्यादा मात्रा में निवेश करते हैं।                          
  3. इसी  डाटा के अनुसार हम अनुमान लगाते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था में विगत वर्ष से ज्यादा सुधार हो रहा है या नहीं। 

 
# क्या आप यह जानने के लिए उत्सुक है की जीडीपी का आकलन कैसे करते है ?

जीडीपी का आकलन :

 
जीडीपी के आकलन में मुख्यता निचे दिए गए सेक्टरों को शामिल किया जाता है :-
  • कृषि 
  • मैन्युफैक्चरिंग 
  • बिजली 
  • गैस सप्लाई
  •  खनन और उत्खनन 
  • वन और मतस्य 
  • होटल 
  • व्यापार और संचार 
  • फाइनेंस 
  • रियल एस्टेट और इन्शुरन्स 
  • बिजनेस सर्विस एंड कम्युनिटी 
  • सोशल और सार्वजनिक सेवाएं ,शामिल है 
 जीडीपी के आकलन में और भी क्षेत्र/सेक्टर हो सकते है लेकिन मुख्यता यही कुछ है। 

जीडीपी का आकलन कैसे करते है :
 
जीडीपी का आकलन निचे दिए गए 4 मुख्य बिन्दुओ द्वारा निकाला जाता है ,और जीडीपी के आकलन के लिए एक फार्मूला होता है उसी की मदद से जीडीपी निकाला जाता है। 
  1. CONSUMPTION EXPENDITURE (उपभोग व्यय )  -- C 
  2. GOVERNMENT EXPENDITURE (सरकारी खर्च)  --G 
  3. INVESTMENT OR CORPORATE INVESTMENT( कॉर्पोरेट निवेश ) --I 
  4. NET EXPORT ( शुद्ध निर्यात ) --(X - M) निर्यात -आयात  
नोट :   GDP  मापने का फार्मूला =C + I + G +( X - M )


जीडीपी 2021 : 

जीडीपी 2021 का आकड़ा बेहद डराने वाला है इसमें भारी गिरावट देखने को मिली है और यह डाटा नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस के द्वारा निकाला गया है। 
 
अबकी बार वार्षिक जीडीपी -7.3 % रहा है।  1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक के वित्तीय वर्ष में जीडीपी में भरी गिरावट पायी गयी है ,
 
जबकि अगर प्रत्येक क्वार्टर की बात करे तो आधार वर्ष 2011 के तुलना में , 1 क्वार्टर में -24.4 % ,2 क्वार्टर में -7.3 % ,3 क्वार्टर में  0.4 % और 4 क्वार्टर में 1.6  % का रहा। 

अगर आप पिछले 5 सालों का वार्षिक ग्रोथ रेट देखे तो :

 2017-18  --    7%
 2018 -19   --     6.1%
 2019-20    --     4.2%
 2020-21   --      -7.3%
2021-22    --       11%  अनुमानित। 


जीडीपी 2021 के गिरावट का मुख्य कारण :
  • आप सभी इस बात से वाकिब होंगे की इस वित्तीय वर्ष के शुरू होते ही पूरे विश्व में वैश्विक बीमारी covid -19 कोरोना वायरस ने देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से तोड़ दिया।                    
  • इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए लगाया गया लॉक डाउन ने सारे दूकान ,उद्योग-धंधे ,फैक्ट्री , स्कूल -कॉलेज , आदि को बंद करवा दिया जिससे करोड़ो लोगो की नौकरी चली गयी और कितने लोग तो भूखों मर गए।                                                                                                
  • कृषि सेक्टर को छोड़ कर बाकी दोनों सेक्टर ( मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस ) दोनों तो पूरी तरह से बाधित थे जिससे  देश को भरी नुक्सान हुआ। 





यह सारा डाटा इंटरनेट से लिए गए है ,अगर आपको कोई भी आपत्ति है तो कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताये ,आपकी बात पर तुरंत गौर किया जायेगा और उसे सुधार भी किया जायेगा। 





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