जैविक खेती के लाभ व हानि | Organic farming meaning in hindi

जैविक खेती |  ORGANIC FARMING / जैविक खेती क्या है |जैविक खेती के लाभ व  हानि |  ORGANIC FARMING | 


आज आपको इस आर्टिकल के माध्यम से organic farming /जैविक खेती के बारे में पढ़ने  जानने को मिलेगा और साथ ही उससे जुड़े सभी पहलु को भी। कृपया पूरा आर्टिकल ध्यान से पढ़े। 

 

organic farming /जैविक खेती
organic farming /जैविक खेती


 

आज के पूँजीवाद युग  में लोगो का ध्यान फसल  की गुणवत्ता के प्रति काम और फसल की उत्पादक्ता   पर ज्यादा रहता है जिसके बहुत  दुष्परिणाम है , जिसे हम आगे जानेंगे 

तो  इन सभी दुष्परिणामों को  देखते हुए इसके विकल्प की खोज की गयी है जिसे organic farming /जैविक खेती का नाम दिया गया है। आईये  है ,की ये organic farming /जैविक खेती होती क्या है?इसकी जरूरत हमे और  हमारे  समाज को क्यों हैं ? और इसके फायदे व  नुक्सान क्या है ? जैविक खेती से  पर्यावरण,मृदा व सेवनकर्ता को क्या लाभ होते हैं ? और सरकार की कुछ स्कीम जिसे organic farming /जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है , आदि को जानेंगे।

 आप को पता है यह organic farming /जैविक खेती ही एक मात्र रास्ता है जिसे हम अपना कर हमसभी और अपने पर्यावरण को भी हानिकारक प्रभावो से बच  सकते है। 

 

 ORGANIC FARMING / जैविक खेती क्या है ?

 

"यह  खेती की वह विधि है , पर्यावरण और जन स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए , फसल में बिना रासायनिक खादों व कीटनाशको का प्रयोग किये या न्यूनतम प्रयोग किये , उत्पादन किया जाता है। " इस  विधि से की गयी खेती , organic farming /जैविक खेती कहलाती है।

 इस तरह की खेती से बहुत से लाभ होते है जिसे हम आगे देखेंगे ,अभी भारत में इसका चलन  बहुत कम है क्योकि आपको इसका सीधा प्रभाव नहीं दिख रहा है ,लेकिन आपको यह समझना चाहिए की यह कितना संकीर्ण और चिंता का विषय है। 

 
Organic Farming /जैविक खेती की ज़रुरत क्यों पड़ी : (विस्तार में )


 जैसा की आप सभी जनते  होंगे की भारत की जनसंख्या में कितनी तेजी से वृद्धि हो रही है और यह जनसंख्या वृद्धि एक विशाल चिंता का विषय बन गया है , क्योंकि जनसंख्या वृद्धि के चहुमुखी नुक्सान हो सकते है जैसे -जो हमारी प्राकृतिक संपदा है (मिटटी , जल , पेड़ , जमीन ) यह सभी  सिमित है 

 लेकिन , लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण सबकी  जरूरत भी बढ़ रही है और ऐसे में तो उन्ही सिमित संसाधन व संपदा के ऊपर ज्यादा दबाव पड़ेगा और वे आने वाले समय में कुछ दशको  में ख़त्म या  अनुपयोगी हो जाएंगे। 

आप लोगो  को पता होगा की बढ़ती जनसंख्या की खाद्य  सामग्री की जरुरत को पूरा करने के लिए हरित  क्रांति शुरू की गयी थी जिससे हम सिमित खेती की जमीन से ज्यादा उत्पादन कर सके जिसने  न सिर्फ हमारी जरुरत को पूरा किया बल्कि  हमारा देश दुसरे किसी  देश को खाद्य सामग्री देने के योग्य भी बन गया। 

हरित क्रांति के बहुत से और अहम फायदे हैं ,लेकिन आज के समय में लोग पैदावार  बढ़ाने के लिए जितनी  तेजी से रसायनिक व  कीटनाशक ,टॉनिक आदि का प्रयोग कर रहे हैं , उसके सीधे प्रभाव आपके नहीं दिखते , लेकिन मैं आपको बता दूं कि ज्यादा मात्रा में रसायनो व कीटनाशको के प्रयोग के क्या-क्या प्रभाव होते है :-

  1.  यह मिट्टी की उपजाऊपन को तेज़ी से नस्ट कर रहा है। 
  2. मिटटी में उपस्तिथ सूक्ष्म जीवाणु और केंचुआ व अन्य उपयोगी बैक्टीरिया को तेज़ी से मार रहा है। 
  3. जड़ो के  सहारे यह रसायनो  का कुछ अंश फसलों के दानों में भी आ जाता है , जिससे नई नई बीमारियाँ  पनपती है और हम ज्यादा बीमार पड़ते है। 
  4. जब इसी खेत का  पानी  किसी तालाब या झील या नदी में पहुँचता  है तो पानी में घुला रसायन पानी को दूषित  करता है और साथ ही उसमें जलीय जन्तुओ को भी मरता है। 
  5.  रसायन हमारे पर्यावरण व वातावरण  को अशुद्ध करता है।


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जैविक खेती के लाभ व  हानि :-

जैविक खेती के लाभ :-

  • जैविक खेती बहुत ही किफायती है  , इसमें आपको ज्यादा खर्च नहीं आएगा। (उर्वरक , कीटनाशक और हाइब्रिड बीजो के पैसे भी नहीं लगेंगे )
  • जैविक खेती में जब बाहरी खर्च काम हो जायेगा तो किसानो का अपने आप ज्यादा फायदा  दिखने लगेगा . 
  • organic farming के उत्पादों की किमत व जरूरत भी ज्यादा है तो इससे हमारे खाद्य पदार्थो का निर्यात भी बढ़ेगा और हमारे देश की अर्थवस्था भी सुधारेगी। 
  • इस विधि से उपजाई गयी फसल में पौस्टिक आहार की मात्रा ज्यादा रहेगी जिससे सेवनकर्ता को ज्यादा फायदा व पोषण प्रदान करेगा।
  • जैविक खेती का मुख्य लाभ यह है की यह किसी प्रकार का नुक्सान नहीं पहुँचता न सेवनकर्ता को , न पर्यावरण को , आदि। 
जैविक खेती के हानि :-

  • इसका नुक्सान यह है ,कि जब इसको तैयार करते समय किसी भी प्रकार का रसायन या कीटनाशको का प्रयोग नहीं किया जाता तो यह बहुत शुद्ध रहता है ,जिससे इसपर कीड़ो का प्रहार ज्यादा जल्दी होता है ,इसे आप लम्बे समय तक स्टोर कर के नहीं रख सकते।                    
  • इसका  दूसरा नुक्सान यह है की इस विधि से खेती करने पर हो सकता है आपको शुरू में फायदा न दिखे,  लेकिन लम्बे समय में आप देखे तो यह किफायती और स्वस्थ रहेगा।

 जैविक खेती की तकनीकी :-


1. मिट्टी प्रबंधन :- 
  •  वह प्रक्रिया जिसके द्वारा हम मिट्टी के जरूरी तत्त्व  दोबारा से रिचार्ज किया जाए , मिट्टी प्रबंधन कहलाता  है।
  •  मिट्टी की प्रमुख देखभाल  के लिए  जैविक खेती (वर्मीकम्पोस्ट और फार्म यार्ड खाद ) जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि इसमें नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है। 
  • जैविक खेती मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए कई प्रयोग किए जाते हैं जैसे गोबर वाली खाद , सब्जियों के छिलके , पेड़ की पत्तियाँ ,व अन्य सड़ने वाली वस्तुएँ आदि का प्रयोग अपने खेतो में करे जिससे वह सड कर आपके खेत में उर्वरा  बढ़ाने का काम करेगा और साथ ही केचुआ की मात्रा भी बढ़ेगी। 
  •  हरी खाद ( जैसे - ढैचा ) या उरद  की फसल की बुवाई करे  और लगभाग 45 से 50 दिन में फसल  तैयार हो जाएगी तो उसे पानी भर कर जुताई करवा दे जिससे वह जल्दी सड जायेगा और खेत में नाइट्रोजन व ज़रूरी तत्वों की मात्रा भी बढ़ जाएगी 
 2. खरपतवार प्रबंधन :
 
  • इस प्रक्रिया  में फसल के साथ कुछ अनचाहे पौधे या खरपतवार भी उग जाते है , उन्हें खेत से निकलना पड़ता है। क्योकि वे फसल के पोशक तत्त्व , घूप ,व पानी को ले लेते है,और फसल के फैलने फूलने में अवरोधक का काम करते है।
  • इसे हम दो तरीके से कर सकते हैं ,पहला निराई -जिसमे औजारों (खुर्पा ) की मदद से खर पतवार को काट कर बाहर निकलते है , दूसरा -पलवार- इसमें हम फसलों के पौधे के बीच में पुवाल या प्लास्टिक की पतली पन्नी बिछा देते है, और यह खर पतवार को उगने नहीं देता। 
 3. मिश्रित खेती या फसल का चक्रिकरण या अंतर - फसल :
 
  • खेत में सभी तत्त्व बराबर मात्रा में नहीं होते  है ,तो उसके लिए आप के मिश्रित खेती कर सकते हैं ,इसे करने से खेत की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी और फसल भी मजबूर रहेगी। 
  • मिश्रित खेती -का अर्थ है , एक ही समय में एक ही खेत में दो फसलों की खेती साथ में करना। 
4. जैविक कीट नियंत्रण :-
 
  • किसान फसल की रक्षा के लिए कुछ रासायनिक दवाइयों के स्थान पर कुछ जैविक नियंत्रक का प्रयोग करें जिससे नुक्सान कम हो और साथ ही हमारा लगने वाला खर्च भी कम हो ,( जैसे - गौ का गोबर  का गोल या गोमूत्र का घोल , नीम के फलो का रस का छिड़काव अपने खेत में करे आदि। )

5. पंचकाव्य उर्वरक :-

  • यह एक जैविक उर्वरक है जिसे गाय  के गोबर ,गोमूत्र ,गाय  का दूध, दही, घी , नारीयल का पानी ,गन्ने  का रस,पका हुआ केला और ख़मीर ,आदि  के मिश्रण से तयार किया जाता है तो यह एक प्राकृतिक खाद है जिसका उपयोग आप अपने खेत में नाइट्रोजन , फॉस्फोरस पोटेशियम की मात्रा को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं.

6. पंछी व कीड़ो मकोड़ो से बचाव :-
 
  •  पंछी व कीड़ो मकोड़ो से बचाव के लिए अपने खेत के बॉर्डर पर  कुछ पीले पत्ते वाले पौधे या फूल सूरजमुखी आदि  लगा सकते हैं ,ऐसा करने से यह सभी जानवर पहले उसकी तरफ आकर्षित होंगे और आपकी फसल के बचने की सम्भावना बढ़ जाएगी।

 Organic Farming /जैविक खेती कैसे करे :-

 

जैविक खेती से अगर आप खेती कर रहे हैं तो आप न सिर्फ अपने बच्चे व अपना बल्कि अपने पर्यावरण की भी रक्षा कर रहे हैं। 

जैविक खेती को शुरू करने के लिए आपको ऊपर बताई गयी तकनिकी को जान कर उसे अपने खेतो में क्रियान्वित करना होगा लेकिन मैं आपको बता दु की हो सकता है की शुरुवाती दौर में आपको ज्यादा फायदा न दिखे (पूंजी के सन्दर्भ  में ) लेकिन एक समय बाद आपको जरूर ही फायदा मिलेगाव दिखने लगेगा। 

जब आपकी  बिलकुल घट जाएगी तो आपको फायदा अपने आप ही दिखने लग जायेगा।

जैविक खेती में आपको आपको शुरुआत में ज्यादा कुछ ज्यादा नहीं लगेगा

 

प्रश्न - भारत में कौन-सा राज्य है , जिसने पूरी तरह से जैविक खेती  को शुरू कर दिया है ?

उत्तर -  भारत का  सिक्किम राज्य जो कि  पूरी तरह से जैविक खेती पर निर्भर हो हो चुका है और अन्य राज्य जैसे - त्रिपुरा , उत्तराखंड ने भी इस विधि के प्रति ज्यादा ध्यान केंद्रित किया  है , जिससे  आने वाले समय वे भी पूर्ण रूप से जैविक खेती  पर निर्भर हो सके। 

भारत सरकार द्वारा लाई गयी कुछ स्कीम जो जैविक खेती को बढ़ावा देती है :-

 

 1. Mission Organic Value Chain Development North Eastern Region (MOVCD-NER)
 
 
  • MOVCD-NER यह स्कीम उत्तर पूर्वी राज्यों में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए लाई गयी है। 
  • यह  केंद्र सरकार की स्कीम है जो कि NMSA(National mission for sustainable agriculture ) के अंदर आती है। 
  • यह स्कीम ministry of agriculture and farmers welfare द्वारा 2015 में लागू की गयी थी उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए जिनमे अरुणांचल प्रदेश , असम ,मणिपुर , मेघालय , मिजोरम , नागालैंड ,सिक्किम और त्रिपुरा। है। 
  • इसका उद्देशय मूल्य श्रृंखला मोड (value chain mode ) को बढ़ावा देना था।

 

2. Paramparagat Krishi Vikas Yojna(PKVY)

 

  • परम्परागत कृषि विकास योजना 2015 से ले गई थी और यह मिट्टी स्वास्थ्य प्रबंधन (Soil Health Management) के अंदर आती है जो की NMSA(National mission for sustainable agriculture ) का एक भाग है 
  • जिसका उद्देस्य है -कि गांव में भी जैविक खेती को बढ़ावा मिले और ज्यादा से ज्यादा लोग  इसे क्रियान्वित करे। 
 
निष्कर्ष : आज हमने इस ब्लॉग के माध्यम से organic farming /जैविक खेती के बारे में विस्तार से जान चुके है आशा करता हु आपको यह पसंद आया होगा।
 

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