चुनाव आयोग या निर्वाचन आयोग / Election Commission Of India
यह भारत का एक अलग व स्वतंत्र आयोग है ,जो भारत में सभी प्रकार के चुनाव { स्थानीय चुनाव व ग्राम पंचायत व नगरपालिका के चुनाव को छोड़कर } को स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से करता है |
चुनाव आयोग एक Permanent Costitutional Body/ स्थायी संवैधानिक भाग है |
यह चुनाव आयोग भारत के सभी चुनाव जैसे पार्लियामेंट ( लोकसभा और राज्यसभा ) के चुनाव , विधानसभा चुनाव , राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के चुनाव को करवाते हैं |
चुनाव आयोग का इतिहास :
चुनाव आयोग का सर्वप्रथम गठन 1950 में संविधान के लागू होने के बाद किया गया था | उस समय यह एकल सदस्यी आयोग थी।
उस समय के पहले चुनाव आयोग अध्यक्ष या चेयरमैन बने - Sukumar Sen
उन्ही की देखरेख में पहला चुनाव 1951 -1952 के बीच में पुरा हुआ था | जब चुनाव आयोग का गठन हुआ था तब से यह एकल सदस्य थी लेकिन 1988 में जब 61th संशोधन अधिनियम ( Amendment Act ) पास किया गया तब उसमे मतदान करने के उम्र को 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई ( जिसे यूनिवर्सल एडल्ट फ्रैंचाइज़ भी कहा जाता है ) जिससे उस वर्ष में कराये जाने वाले चुनाव में अचानक से मतदाताओ की संख्या में एकाएक वृद्धि हो गई और इसी कारण से उस वर्ष आयोग को बहु सदस्यी आयोग बनाना पड़ा।
चुनाव आयोग में Election Commissioner की संख्या बढ़ा कर 3 कर दी गयी और चुनाव हो जाने के बाद फिर से 1990 में Single Membered Body ( एकल सदस्यी आयोग ) बना दिया गया लेकिन 1993 में दोबारा से इसे Multi-Membered Body बना दिया गया जिसके बाद से आज तक इसे बदला नहीं गया है|
Multi-member Body of Election Commission क्या है ? यह क्यों जरुरी है ? इसके होने से क्या फायदा है ?
Chunav aayog |
बहु सदस्यी चुनाव आयोग में एक से ज्यादा election commissioner होते हैं जिसको 1 से बढ़ाकर 3 कर दिया गया है जिसमें एक चीफ इलेक्शन कमिश्नर होता है और दो अन्य इलेक्शन कमिश्नर होते हैं।
- सभी कमिश्नर की शक्तिया , सुविधा , वेतन आदि सभी चीजे बराबर होती है।
- किसी निर्णय पर विवाद की अवस्था में तीनों कमिश्नर में वोटिंग की जाती है और निर्णय बहुमत से लिया जाता है।
- प्रत्येक कमिश्नर का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष होता है जो पहले पूरा हो जाए और यह पद पर रिटायर्ड आईएएस या आईपीएस की नियुक्त की जाती है।
इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधान मंत्री की सलाह पर नियुक्त किया जाता है।
यह प्रावधान संविधान में है कि चुनाव आयोग के कमिश्नर को उनके पद से निष्कासित करना आसान नहीं होगा जिससे इलेक्शन कमिश्नर को स्वतंत्रता व निष्पक्षता बनी रहे कि वह चुनाव को स्वतंत्र व निष्पक्ष रूप से करा सके।
चुनाव आयोग के चीफ कमिश्नर को निष्कासित करने के लिए महाभियोग की प्रक्रिया से गुजरना होगा महाभियोग को दोनों पार्लियामेंट हाउस से 2/3 rd बहुमत से पास कराने के बाद ही उन्हें पद से हटाया जा सकता है ( सिर्फ गलती के सिद्ध होने पर दुःव्यवहार या अक्षमता के आधार पर उन्हें निकला जा सकता है ) ।
इस प्रावधान को संविधान में इसलिए रखा गया है जिससे इलेक्शन कमिश्नर को स्वतंत्रता व निष्पक्षता बनी रहे।
सन 1993 में चुनाव आयोग को फिर से क्यों बहु सदस्यी आयोग क्यों बना दिया गया ?
इसका कोई सटीक कारण नहीं बताया गया है , लेकिन इसका कारण यह बताया जाता है , कि जिससे चुनाव आयोग में आंतरिक लोकतंत्र सिद्ध हो , और भारत जैसे विशाल लोकतंत्र वाले देश के आयोग में किसी एक पदाधिकारी के अनुसार ही निर्णय नहीं लिया जाता है। बल्कि वहाँ भी तीन सदस्यों के बीच विचार विमर्श के बाद ही निर्णय लिया जाता है।
Role of election commission of india / चुनाव आयोग की भूमिका व कार्य :
- चुनाव आयोग का मुख्य काम होता है वह साफ व निष्पक्ष चुनाव कराए।
- यह आयोग यह भी निर्धारण करती है कि किस पार्टी को कितना खर्च करना है प्रचार में और इनकी निगरानी भी करना कमीशन की जिममेदारी है।
- चुनाव आयोग यह भी निर्धारण करता है कि सभी राजनीतिक पार्टियों अपनी वित्तीय खर्च की रिपोर्ट आयोग को जमा करें।
- आयुक्त यह भी निगरानी रखती है कि कोई भी प्रत्याशी या पार्टी आचार्य संहिता ( model code of conduct ) का उल्लंघन ना करें .
- उम्मीदवार की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता सुनिश्चित करें।
Chunav aayog |
चुनाव आयोग की शक्तिया / Power of Election commission of india :
- चुनाव आयोग किसी भी प्रत्याशी को सस्पेंड कर सकता है अगर वह समय पर अपने चुनावी खर्च कर खाका नहीं भेजता है।
- चुनाव के दौरान अगर कोई सदस्य या प्रत्याशी किसी भी प्रकार की क़ानून का उल्लंघन करते है तो उनका पर्चा रद्द कर सकते है।
- आयोग ऐसे प्रत्याशियों को अयोग्य ठहरा कर बाहर कर देती है तो पैसे व बाहुबल का प्रयोग चुनाव प्रचार के दौरान करते है।
- चुनाव आयोग के चुनाव की तारीख का निर्धारण करता है।
- चुनाव की तारीख की घोषना होने के बाद से चुनाव के फल आने तक आचार्य संहिता लागू जाती है और आचार्य संहिता लागू होने के साथ ही कुछ कानून नियम भी लागू हो जाते है।
- आचार्य संहिता लागू होने के साथ ही प्रदेश की सरकारी प्रशासन पूरी तरह से चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आ जाता है।
- भारतीय नागरिकता को छोड़कर या सहित दोहरी नागरिकता रखने वाले उम्मीदवार अयोग्य माने जाते है।
- आपराधिक गतिविधि या काले धन को वैध बनाना या तस्करी में शामिल होने पर राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द करना। आदि।
आर्टिकल 324 :
नोट : वर्तमान समय में चुनाव आयोग के मुख्य इलेक्शन कमिशनर - श्री सुशील चंद्र और अन्य इलेक्शन कमिशनर - राजीव कुमार और अनूप चंद्र पांडेय।
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