भारत के टैक्स सिस्टम | भारतीय कर प्रणाली | Indian tax system in hindi |
आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से भारत के टैक्स सिस्टम / Indian Tax System को समझने की कोशिश करेंगे तो आइए शुरू करते हैं।
क्या आपको पता है कि किसी सरकार या राजा की अपने देशवासियों या प्रजा के प्रति क्या जिम्मेदारी होती है ?
हां !!! आपने सही सोचा , सरकार या राज्य की जिम्मेदारी होती है कि सरकार या राजा अपने प्रजा या देशवासियों के हित में काम करें , गरीबों को सुविधा प्रदान करें , देश में विकास करें , देशवासियों को रोजगार दे , अच्छी सड़क , अनुदान , अस्पताल , स्कूल , कॉलेज , यूनिवर्सिटी , आदि प्रदान करें।
सभी के ऊपर नियंत्रण व शासन चलाने व शांति के लिए सरकारी तंत्र की भी देखभाल करनी पड़ती है तो जब सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपने देशवासियों की सभी स्तर पर ख्याल रखें तो उसे भी यह सब करने के लिए पैसे की आवश्यकता होती है सभी क्षेत्रों के विकास व सुविधा प्रदान करने के लिए आपसे मुझसे हम सब से Tax लेती है और सरकार टैक्स के पैसे को जनता व प्रजा के ऊपर ही खर्च करती है।
Indian Tax System | भारतीय कर प्रणाली :-
- भारतीय संविधान में Tax System से जुड़ी सभी शक्तिया आर्टिकल 265 के अंदर दी गयी है।
- आर्टिकल 265 - संविधान का यह आर्टिकल भारत सरकार को यह शक्ति देता है कि वह नया कानून बना कर लोगो से टैक्स ले सकती है।
Indian tax system in hindi |
आज हम भारत के Tax System को समझेंगे कि भारत में टैक्स फाइलिंग , टैक्स स्लैब , यूनियन एंड स्टेट गवर्नमेंट टैक्स आदि से जुड़ी जानकारियां इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे।
अब तक आप समझ गए होंगे कि हमें टैक्स देने व सरकार को टैक्स लेने की जरूरत क्यों है ?
Indian tax system में टैक्स के माध्यम :
भारत का tax system दो भागो में विभाजित है - 1. प्रत्यक्ष्य कर( Direct tax ) , 2 . अप्रत्यक्ष्य कर ( Indirect Tax ) .
यह tax व्यक्तिगत रूप से किसी व्यक्ति या कंपनी पर लगता है और उसे ही इसका भुगतान करना पड़ता है।
- Income Tax :
Indian tax system in hindi |
किसी व्यक्ति या कंपनी की सालाना आय या मुनाफा पर लगने वाला टैक्स , इनकम टैक्स कहलाता है। इनकम टैक्स की राशि इस बात पर निर्भर करता है की वह व्यक्ति या कंपनी उस वित्तीय वर्ष में कितना कमाया है।
भारत में देशवासियों के ऊपर इनकम टैक्स लगाने की एक सीमा है , उस सीमा के अंतर्गत कोई टैक्स नहीं लगता। इस टैक्स को लेने के लिए एक टैक्स स्लैब बनाया गया है जिसके अनुसार भारत सरकार आप से टैक्स लेगी वह टैक्स स्लैब कुछ इस प्रकार है।
Indian tax system in hindi |
- Corporate Tax : यह एक प्रत्यक्ष कर है जो किसी किसी फर्म या कंपनी के बिज़नेस से की गयी आय या मुनाफे पर लगाई जाती है ( अर्थात सामान के उत्पादन में लगे खर्च को घटा कर , कंपनी के प्रॉफिट पर यह टैक्स लगता है ) , उसे ही कॉर्पोरेट टैक्स कहते है। जिस प्रकार सभी कंपनी भिन्न होती है और उनका लेन - देन राशि भी अलग- अलग होती है तो उसी प्रकार कारपोरेशन टैक्स रेट भी अलग अलग होता है।
- Capital Gain Tax : आपके किसी asset की सेल पर हुए फायदे पर लगने वाला टैक्स , कैपिटल गेन टैक्स कहलाता है। इस asset की लिस्ट में - स्टॉक , बांड्स , कीमती धातु , रियल एस्टेट , और स्थाई संम्पत्ति।
Indian tax system in hindi |
2. Indirect tax : इनडायरेक्ट टैक्स अर्थात अप्रत्यक्ष कर ऐसा कर जो सरकार द्वारा सामान व सेवा पर लगता है। यह कर आय या लाभ पर नहीं लगता है।
यह कर एक से दुसरे पर पास हो जाता है , साधारण भाषा में कहें तो सरकार निर्माणकर्ता से टैक्स लेती है और बाद में वही टैक्स हम सब उपभोगकर्ता या उपयोगकर्ता से लिया जाता है , अप्रत्यक्ष रूप से हम सब ही यह कर भरते है।
उदहारण - कस्टम ड्यूटी custom duty , excise duty , सर्विस टैक्स , इंटरटेनमेंट टैक्स , GST , VAT , आदि।
- Service tax : यह टैक्स सेवा प्रदान करने के बदले लगता है , जिसे हम सर्विस टैक्स के नाम से जानते थे। इस टैक्स को हर उस व्यक्ति या कंपनी को देना होगा जो कोई भी सेवा प्रदान करेंगी , और बाद में वह कंपनी या व्यक्ति उस टैक्स को कस्टमर से लेता है।
- Excise Duty : जब कोई भी सामान या उत्पाद भारत के अंदर किसी कंपनी द्वारा तैयार किया जाता है , तो उस सामान पर लगने वाला टैक्स , Excise duty कहलाता है। इस टैक्स का भुगतान पहले कंपनी कर देती है बाद में वह कंपनी अपने तैयार किये गए उत्पाद में टैक्स का भी पैसा जोड़कर बेचती है जिससे उसका टैक्स कस्टमर ही देता है .
- VAT ( value added tax ) : यह ऐसा टैक्स है , जो एक ही सामान के प्रत्येक बिक्री या वैल्यू जोड़ने के ऊपर लगने वाला टैक्स है , जिसे वैट कहते है। जैसे -- जब निर्माता कच्चा माल कंपनी को बेचता है , तब कंपनी उस कच्चे माल को कई प्रक्रिया से गुजारता है फिर तैयार माल को रिटेलर को फिर रिटेलर कस्टमर को बेचता है तो हर स्टेप पर टैक्स लगता है। यह एक तरह से टैक्स पर टैक्स की तरह है।
- Custom Duty : भारत में किसी भी वस्तु या सामान के आयात करने पर लगने वाला टैक्स , custom duty कहलाता है। और कभी कभी यह सामान का देश से बाहर निर्यात करने पर भी लगता है।
- Stamp Duty : स्थाई संपत्ति के ट्रांसफर पर लगने वाला टैक्स stamp duty कहलाता है।
- Entertainment tax : मनोरंजन या खेल को देखने या उसे देखने के लिए भी टैक्स लगता है , जिसे मनोरंजन टैक्स के नाम से जानते है।
- GST : भारत में विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष कर है , जिससे लोगों को समझना व कर देना काफी हद तक कठिन व जटिल हो जाता था ,लेकिन जीएसटी के लागू होने के बाद सभी अप्रत्यक्ष कर के स्थान पर एक अकेला कर लागू कर दिया गया , जिसे जीएसटी ( गुड्स एंड सर्विस टैक्स ) कहते हैं।
Advantage of indirect tax /अप्रत्यक्ष कर का लाभ :
- Indirect tax के माध्यम से आसानी से उपभोगता भुगतान कर देता है और उपयोगता को पता भी नहीं चलता , वह आसनी से समान खरीदते समय ही भुगतान कर देता है।
- Indirect tax से सरकार को टैक्स लेने में भी आसनी होती है , वह कंपनी या प्रोडक्शन स्टोर से सीधे टैक्स ले लेती है और जिससे उसका समय और काम दोनों कम लगता है।
- इस tax को इकठ्ठा करने में ज्यादा परशानी भी नहीं होती।
- Indirect tax को समाज का हर वर्ग से टैक्स लिया जाता है चाहे वह टैक्स स्लैब के अनुसार किसी भी केटेगरी में आता हो , जिससे हर देशवासी टैक्स का भुगतान करता है और देश के विकास व अर्थव्यवस्था में अपना योगदान देता है।
Disadvantage of Indirect tax |अप्रत्यक्ष करो में हानि :
- अप्रत्यक्ष कर को कभी-कभी पाया गया है कि जो बिचौलिय है वे अपना टैक्स न भर कर , ग्राहक से वह पैसा लेता है और इसी कारण से कभी-कभी उत्पादों की कीमत बढ़ जाती है।
- कभी कभी Indirect tax प्रत्येक स्टेप पर लगता है जिससे टैक्स पर टैक्स लगने लगता है और फिर सामान की कीमत बढ़ जाती है। ( जिसे cascading effect ऑफ़ टैक्स कहा जाता है )
Cess :
यह एक तरह का टैक्स है ,जो किसी भी विशेष कार्यों के लिए लिया जाता है। जो सामाजिक सुविधाओं को सुधारने , विकास करने , एवं बढ़ावा देने के लिए लगता है , जिसे सेस के नाम से जाना जाता है। यह टैक्स ज्यादा आय वाले देशवासियो पर लगाया जाता है , जिससे गरीबो को मदद दी जा सके। इसका रेट ज्यादा से ज्यादा 4 % का होता है।
Cess कई प्रकार के होते है :-
- Swachch Bharat Cess : यह एक प्रकार का टैक्स होता है , जो सभी करयोग्य आय पर 0.5 % की दर से लगता है , जिसे सिर्फ स्वच्छता की मुहिम को बढ़ावा देने व सफाई के लिए लिया जाता है।
- krishi kalyan Cess : जिस प्रकार स्वच्छ भारत सेस है , उसी प्रकार भारत सरकार ने किसानो के कल्याण के लिए यह कर लगाया है जिससे कृषि क्षेत्र में या किसानो को कुछ मदद दी जा सके।
- शिक्षा सेस , आदि।
Toll Tax / टोल टैक्स :
- यह टैक्स गाड़ियों की साइज के अनुसार बढ़ता है।
- दो पहिया वाहन को टोल टैक्स नहीं देना पड़ता।
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