राइट तो प्रॉपर्टी क्या है | Right to property meaning in hindi

राइट तो प्रॉपर्टी क्या  है , कब और क्यों हटाया गया , इसकी ज़रुरत क्यों थी |  Right to property meaning , when & why removed from fundamental right   


किसी भी देश में रहने वाले नागरिको को वहा की सरकार उनको एक अधिकार देती है कि वह उसी देश की सीमाओं के भीतर ही अपनी व्यक्तिगत संपत्ति खरीद सकता है जिसे राइट टू  प्रॉपर्टी ( या सम्पत्ति के अधिकार ) कहा जाता है। 


राइट तो प्रॉपर्टी  क्या  है | Right to property
राइट तो प्रॉपर्टी  क्या  है | Right to property


  संपत्ति का अधिकार क्या है | what is right to property 

 वर्तमान में यह  Right to property { संपत्ति का अधिकार} एक सवैंधानिक अधिकार है , जो प्रत्येक  लोगों  को यह  सुनिष्चित करता है कि उनकी  संपत्ती पर कोई गैरकानूनी रूप से  हड़प  नहीं सकता ( चाहे वह कोई व्यक्ति विशेष हो या  सरकार खुद ही न हो । 

कानून के अधिकार के बिना किसी को उसके संपत्ति से वंचित  नहीं किया जायेगा और यह अधिकार ही हर किसी व्यक्ति को सरकार के हस्ताक्षेप से बचाता  है और उसकी  संपत्ती तब तक नहीं ले सकता है जब तक वह कानूनी  प्रक्रिया न पूरी  कर ले। 

Fundamental Right : Right To Property  को  मौलिक अधिकार की श्रेणी से क्यों निकाला गया ?


देश में आजादी के बाद  जब संविधान  बन कर तैयार  हुआ तब यह संपत्ति का अधिकार एक मौलिक अधिकार था लेकिन बाद में संविधान संसोधन करके उसे संवैधानिक अधिकार बना दिया गया। 

 यह मौलिक अधिकार होने के कारण इसे कोई नहीं छीन सकता और देश में विकास करने ( स्कूल , कॉलेज , सरकारी  दफ्तर , सड़क , अस्पताल आदि ) बनाने के लिए यह अधिकार बाधा  बन रहा था और साथ ही जमींदारी के कारण  जो अमीर और गरीब के बीच की  खाई थी वह भी बढ़ती जा रही थी। 

संपत्ति के अधिकार को हटाने का कारण : 

  1.  आर्थिक न्याय करने के लिए। 
  2. आमिर गरीब के बीच की खाई को कम करने के लिए। 
  3. खेती योग्य जमीनों का उपयुक्त प्रयोग करने के लिए। 

 संपत्ति अधिनियम में संपत्ति क्या है | What Is Property In Property Act ? 

यह संपत्ति की श्रेणि में सिर्फ जगह - जमीं ही नहीं आता बल्कि यह संपत्ति में Tangible ( स्पर्श योग्य ) और non - tangible ( अस्पर्श योग्य ) वस्तुए भी आती है। इसमें कार्पोरियल या इन-कार्पोरियल  दोनों शामिल है ,

उदाहरण - जमीन , घर , धन , कॉपीराइट , पेटेंट , कॉन्ट्रैक्ट , बिल्डिंग , आदि। 


संपत्ति के अधिकार का इतिहास | Right To property as a Fundamental Right - 

सन 1950 में देश का संविधान  लागू होने के बाद , संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारो  की सूची में रखा गया जिससे वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुरक्षित था। 

आर्टिकल  31 और आर्टिकल 19 (1) F  यह  सुनिष्चित करता  है कि  किसी व्यक्ति की संपत्ति पर उसका अधिकार  सुरक्षित रहे  ,

दुसरे  शब्दों में , यह दोनों आर्टिकल संपत्ति के अधिकार का हनन  होने से बचाते  है। 

राइट तो प्रॉपर्टी  क्या  है | Right to property
राइट तो प्रॉपर्टी  क्या  है | Right to property


आर्टिकल 31 के धारा 1 यह प्रावधान रखा गया  है किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा , यह धारा  प्रत्येक व्यक्ति को यह सुरक्षा प्रदान करती  है कि  उसकी संपत्ति  को सरकार द्वारा  सामाजिक प्रयोग या काम में न लिया जाए। 

 इसका अर्थ यह हुआ की किसी व्यक्ति के संपत्ति  के अधिकारो  का हनन  होने पर वह सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगा  सकता है। 

 

आर्टिकल  19 (1)  F - 

 यह नागरिकों को भारत के क्षेत्र में संपत्ति को खरीदने , लेने और बेचने के  लिए स्वतंत्रता प्रदान करता है। 

लेकिन , 1978 में किया गया संविधान का 44 वा संसोधन जिसमे आर्टिकल 31 और 19 (1) F को हटा दिया गया और एक नया चैप्टर iv पार्ट 12 में जोड़ा दिया गया जिसमे सिर्फ  एक ही  आर्टिकल है जो है -आर्टिकल  301 A . 

आर्टिकल 300 A  क्या है - Right To Property  

भाग 12 के चैप्टर 4  में जोड़ा गया आर्टिकल 300 A - ( Right To Property )  को रखा गया है। 

 संपत्ती के अधिकार को मौलिक अधिकार की श्रेणी  से निकालकर अब संवैधानिक  अधिकार बना दिया  गया है। 

संपत्ति के  अधिकार को अब संवैधानिक  अधिकार बना देने से अब  भी व्यक्ति के संपत्ती के अधिकारो  का हनन  होने पर वह सीधे सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की अनुमति नहीं है। 

किसी स्थिति में उसके अधिकारों  हनन होता है तो वह उच्च न्यायालय में आर्टिकल 226 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र के लिए केश फाइल कर सकता है। 

क्यों 44 वा संशोधन किया गया | Why the  44 amendment Act is made ? 

 भारत के पार्लियामेंट द्वारा यह  संशोधन इसलिए पास  किया गया क्योंकि भारत देश में आजादी से  पूर्व कई तरह  के सिस्टम प्रचलित थे  जैसे - जमींदारी , रयोटवारी , महलवाड़ी और जागीरदारी सिस्टम  जिसके कारण से भूमि का अत्यधिक कब्जा  कुछ लोगों के पास ज्यादा  हो गया था।  

लोगो के बीच जमीन का असमान विभाजन होने  की स्थिति से बचने के लिए और  गरीब और अमीर  बीच की दूर कम की जा सके। 


निष्कर्ष :

 मैं आशा करता हु कि आपको यह आर्टिकल : राइट तो प्रॉपर्टी  क्या है पूरा समझ आया होगा और अगर कोई सवाल रह गया हो तो आप उसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है। 

 

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