कोऑपरेटिव फार्मिंग क्या है इस शब्द का अर्थ क्या है | सहकारी खेती | cooperative farming UPSC
कोऑपरेटिव फार्मिंग या सहकारी खेती क्या है ?
कोऑपरेटिव फार्मिंग का तात्पर्य यह है कि जब एक से ज्यादा लोग मिलकर अपने उत्पादन व लाभ को बढ़ाने की द्रिष्टी से काम करें।
इस प्रक्रिया में जो सभी छोटे किसान होते हैं , वह अपने लाभ व फसल उत्पादकता को बढ़ाने के लिए और अपने नुकसान व हानि को घटाने की दृष्टि में साथ मिल कर काम करते हैं। इस विधि को ' Farmers cooperative ' भी कहा जाता है।
ढेर सारे छोटे किसान की हाथ मिलाने से यह एक संगठन की तरह होकर काम करते हैं जिन्हें हम ' कोआपरेटिव सोसाइटी ' कहते है।
वे मिलकर उच्चतम गुणवत्ता के बीज , उर्वरक आदि को खरीदने में सक्षम होंगे और एक संगठन होने के कारण उनके उत्पादन की अच्छी कीमत भी मिलेगी और सबसे महत्वपूर्ण प्रति व्यक्ति उनकी खर्च भी घटेगी और उपकरण लागत भी कम होगी।
सभी छोटे किसान मिलकर ज्यादा आधुनिक तकनीक एवं मशीनों का उपयोग कर सकेंगे और अपना उत्पादन बढ़ा पाएंगे और ज्यादा लाभ कर सकेंगे।
अब आप सोच रहे होंगे कि सरकार कोऑपरेटिव सोसाइटी को बढ़ावा क्यों दे रही है।
note : कृषि का यह तरीका डेनमार्क , नेथरलैंड , बेल्जियम , स्वीडन , इटली में छोटे किसानो को उठाने में बहुत कारगर रहा।
हमें कोऑपरेटिव फार्मिंग की जरूरत क्यों है ?
भारत में कृषि क्षेत्र में 85 % किसान छोटे किसान या सीमांत किसान की श्रेणी में आते है , इसलिए ऐसे किसानो का कोई संस्था या कोई व्यक्ति , उनका हनन न कर सके इसलिए हमे एक संघ की ज़रुरत पड़ी - कोआपरेटिव फार्मिंग या सहकारी कृषि ।
- खेतों का पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ता विभाजन
- भूमि पर जनसंख्या का बढ़ता दबाव
- भूमिधारकों का गैर-आर्थिक आकार
- खेती के साधारण और वैज्ञानिक तरीके
- भूमि का असमान वितरण
- गरीबी
- किसानों की अज्ञानता , आदि।
- कोआपरेटिव फार्मिंग में किसानों का शामिल होना स्वैच्छिक है।
- किसानों का जमीन पर अपना अधिकार बरकरार रहेगा।
- किसान अपनी भूमि , पशुधन और अन्य कृषि उपकरण को मिलाकर काम करते हैं।
- पूरे खेत को मिलाकर एक खेत की तरह खेती की जाती है और प्रबंधन के लिए एक सदस्यों चुना जाता है।
- प्रत्येक सदस्य अपनी भूमि और श्रम के साथ कुल उत्पादन का एक हिस्सा पाते है।
कोआपरेटिव फार्मिंग या सहकारी खेती का लाभ | Advantage of Cooperative Farming
- सहकारी खेती से पीढ़ी दर पीढ़ी हो रहे खेती के विभाजन व खंडन की समस्या से निजात मिलता है।
- सहकारी किसान के एक जुट हो जाने से उनके पास अधिक मानव, भौतिक, धन संसाधन रहता है और वे खेत में सिचाई प्रणाली व भूमि उत्पादकता को भी बढ़ाने में सक्षम रहते है , सहकारी सदस्य अपने खेतों पर व्यक्तिगत रूप से ऐसा करने में सक्षम नहीं होंगे।
- केस स्टडी के अनुसार कि सहकारी खेती के साथ भूमि पर प्रति एकड़ उत्पादन बढ़ा है।
- सभी छोटे और सीमांत किसान भी कोआपरेटिव सोसाइटी में बड़े पैमाने पर खेती का लाभ उठा पाएंगे।
- जब कोआपरेटिव सोसाइटी थोक मात्रा में बीज , उर्वरक , कीटनाशक दवा आदि खरीदते है तो उन्हें काफी छूट पर यह मिल जाता है जिससे प्रत्येक लोगो पर इसकी कीमत कम पड़ती है।
- सरकार भी कृषि उपयोग वस्तुएं पर काफी सब्सिडी देती है जिससे उनका भी उथ्थान हो सके।
- सभी एक सहकारी समिति में होने के कारण से बड़ी मशीनरी ( जैसे - हार्वेस्टर , थ्रेशर , कंबाइन आदि ) को आसानी से लाभ उठा सकते है।
- उत्पादन का उचित दाम मिलता है।
- प्रशासनिक सुविधा : प्रशासन की दृष्टि से सहकारी खेती कर को वसूल करने व सब्सिडी वितरण करने के लिए और उत्पादन बढ़ाने के लिए खेती की उन्नत पद्धति शुरू करने के लिए सहायक है।
सहकारी कृषि समिति क्या है | What is Cooperative Farming Society
- इस समिति में समय समय पर वोट के माध्यम से एक पदाधिकारी चुना जाता हैं जो सभी निर्णय लेता है। समिति के लोग ( एक सदस्य 1 वोट ) इसमें वोटिंग करते है।
- इस समिति में जुड़ने के बाद भी आपकी जमींन का हक़ आपके पास ही रहेगा आप जब चाहे तब ही इससे बाहर निकल सकते है।
- इस समिति में लोग खेत के अलावा , और भी तरीकों से सहयोग दे सकते है जैसे - कृषि उपकरण , और मजदूर के रूप में भी अपना सहयोग दे सकते हैं , आपको अपनी भूमि का किराया मिलेगा और आपके कृषि उपकरण व आपकी मजदूरी भी मिलेगी।
कोआपरेटिव फार्मिंग vs कलेक्टिव फार्मिंग | cooperative farming Vs Collective Farming :
कोआपरेटिव फार्मिंग काम कैसे करती है -
निष्कर्ष :
यह कोपरेटिव सोसाइटी का गठन समाज में उपस्थित गरीब किसान की आय को बढ़ाने के लिए शुरू किया गया था , और यह अपने देश के कुछ हिस्सों में सफल भी रहा , और बहुत से किसानो को मदद भी पंहुचा रहा है।
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