खड़ी खेती क्या है , इसके फायदे व नुक्सान | Vertical farming in India
प्रणाम दोस्तों , स्वागत है , आप सभी लोगो का आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से वर्टीकल फार्मिंग के बारे में जानेंगे , तो क्या आप उत्सुक है इसे जानने के लिए , आशा करता हु आपके सभी जवाब यहाँ मिल जायेंगे और छूटे हुए विषयो को कृपया कमेंट से बता दे।
खड़ी खेती क्या है - What is Vertical farming :
यह मानव विकसित खेती की वह विधि है , जिसमे कुछ विशेष पौधों (जैसे - फल ,सब्जिया ) को कुछ विशेष स्थिति में काम स्थान पर ज्यादा उत्पादन लेने की विधि है ,उसे ही वर्टीकल फार्मिंग कहते है।
- इस विधि में बॉस तार या प्लास्टिक से ढांचा तैयार किया जाता है , जिसमे कई तल होते है , उसी प्रत्येक तल में ही पौधे लगाए जाते है।
आज हम अपने इस आर्टिकल में ऊपर बताये गए सभी विषयोके बारे में जानेंगे , कृपया आर्टिकल पूरा व ध्यान से पढ़े।
- इस विधि ( खड़ी खेती ) को शहरी खेती भी कहा जाता है ,क्योकि शहरों में में जिस प्रकार से विकाश हो रहा है , जगह - जगह अपार्टमेंट , बिल्डिंग , स्कूल ,हॉस्पिटल ,सड़के , हाईवे ,शॉपिंग माल्स बन रहे है , तो वह हरियाली , खुली हवा , ऑक्सीजन आदि की भी कमी हो रही है।
- तो इन सभी मुसीबतो का एक मात्र विकल्प Vertical farming/खड़ी खेती है ,जिसे हम सब को अपनाना चाहिए।
खड़ी खेती की ज़रुरत हमे क्यों है ?
आप को पता है कि भारत की आबादी कितनी तेज़ी से बढ़ रही है और तीव्रता से हो रहे इस जनसँख्या विस्फोट के कारण देश के सामने विभिन्न चुनौतियां उत्पन्न हो गयी है।
जैसे - लोगो के बढ़ने से उनके रहने के लिए जगह , खाने के लिए खाद्यान , चलने के लिए रोड , शुद्ध हवा , वातावरण , व और भी साडी ज़रूरते बढ़ जाती है।
तो इतनी बड़ी जनसँख्या को रोज़गार भी देना है , उसके लिए हमारी उद्योग , इंडस्ट्री आदि का भी एक बड़े मात्रा में विकास करना होगा और भूमि संरचना में भी विकाश लाना होगा जिससे ज्यादा विकल्प खुले लोगो के रोज़गार के लिए।
लेकिन इस भाग दौड़ में हमारा वातावरण और पर्यावरण के प्रति दायित्व तो नहीं खत्म हो गया मतलब हमे उनके साथ साथ इन्हे भी करना होगा इसीलिए "विज्ञानं की एक खोज जिसे Vertical farming के नाम से जाना जाता है " उसकी ज़रुरत हमे पड़ी।
आज ज्यादा से ज्यादा पेड़ो को काट कर उस जमीं को विकास करने या फिर खेती करने के लिए प्रयोग में ली जा रही है , जिससे हमारी लकड़ी और जमीं दोनों की लालच पूरी हो सके।
नोट : इस खेती को इसलिए कारगर मान गया है , क्योकि यह शहरों में बड़ी बड़ी बिल्डिंग की दीवारों पर ऐसी खेती की जा सकती है , यहाँ तक की लोग अपने घरो की छत पर या कमरों में भी आर्टिफीसियल प्रकाश व अन्य ज़रूरी चीजे प्रदान कर के अच्छा उत्पादन लिए जा सकता है।
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VERTICAL Farming से लाभ :
- यह कम स्थान पर ज्यादा फसल ऊगा सकते है ( अर्थात आप 4 -6 हेक्टेयर की फसल को आप एक ही हेक्टेयर में ले सकते हो। तो हमारी खेती के योग्य ज़मीं की भी मुसीबत खत्म।
- इस विधि में मानवनिर्मित अनुकूल वातावरण बनाया जाता है , तो इसमें मौसम पर निर्भरता खत्म हो जाती है जिससे फसल के खराब होने की सम्भावना भी कम हो जाती है। और हमे बाढ़ या सूखा जैसी प्राकृतिक आपदा से भी कोई खतरा नहीं रहता।
- इस विधि में किसी भी प्रकार का कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया जाता तो यह पूर्ण रूप से आर्गेनिक या जैविक तरीके से उत्पादन किया जाता है जो की शुद्ध व हमे स्वस्थ रखता है।
- इस विधि से उत्पादन करने पर पानी का सबसे कम प्रयोग किया जाता है , जिससे हमारे पेय संसाधन भी बचेंगे।
- यह विधि को कही भी व्यवस्थित किया जा सकता है , तो पूरे विश्व भर में जहा कही भी जिस सब्जी या फल की जरूरत या खपत ज्यादा हो , उसे वही उपजाया जाये जिससे यातायात या आवागमन का खर्च व समय भी बचेगा।
- इस विधि को अपनाना एक विकल्प है , हमारी कृषि योग्य जमीनों की कमी का।
- जब इसमें मानवनिर्मित ढांचे व वातावरण की मदद से फसलों को उगाया जाता है तो इसमें फसल के ख़राब होने की संभावना काम होती है , तो किसानो को ज्यादा लाभ मिलता है।
- इस विधि द्वारा उगाई गयी फसल ज्यादा ताज़ी स्वस्थ व स्वास्थ के लिए उत्तम मानी गयी है।
- यह खेती शहरी इलाकों में की जाये तो शहर में हरियाली भी आएगी और तापमान भी 1-2 डिग्री तक काम हो जाये गए।
- बेंगलुरु , दिल्ली ,और हैदराबाद जैसे महानगरों में तो इस तरह की खेती को खूब बढ़ावा मिल रहा है।
- इस तकनीकी से उस क्षेत्र में पेड़ पौधों की वृद्धि में भी योगदान देगी।
VERTICAL Farming से हानि :
- सर्व प्रथम आपको बता दे की इस विधि से खेती को शुरू करने में आपको ज्यादा खर्च व लागत आएगा।
- मानवनिर्मित वातावरण बनाने में ऊर्जा की भी खपत ज्यादा होगी।
- इस विधि से खेती करने के लिए आपको कुशल व शिक्षित कर्मियों की ज़रुरत पड़ेगी जो कि आसानी से मिलना थोड़ा मुश्किल है।
ज्यादातर पूछे जाने वाले प्रश्न :
Vertical Farming / खड़ी खेती से ज्यादा लाभ होता है ?
- नहीं ,ऐसा नहीं है। कि इस विधि से की गयी खेती में बहुत ही ज़्यादा फायदा है क्योंकि इसमें आपको आर्टिफीसियल लाइट लगानी होगी और गर्मियों के दिनों में आपको तापमान सामान्य रखने के लिए AC की भी ज़रुरत पड़ सकती है ,जिसमे बिजली का बहुत ही ज़्यादा खर्च आएगा।
और इस कड़ी खेती में ऊपर के सभी पौधों की देखभाल व सब्जी व फूल को तोड़ने के लिए लिफ्ट की ज़रुरत पड़ेगी जिससे यह काफी ज्यादा खर्चीला हो सकता है।
अगर , आप इतना सब खर्चा को उठा सके तब ही इस विधि को शुरू करे।
क्या Vertical Farming विधि से उगाये गए पौधे ज्यादा स्वस्थ है ?
- जहा तक स्वस्थ से जुडी बात है तो इसके 3 मुख्य कारण बताये जाते है :-
- इस विधि में फलो व सब्जियों को पूर्णतः जैविक रूप से उगाया जाता है।
- इस विधि में नियंत्रित वातावरण में ही फलो व सब्जियों को उगाया जाता है , तो जिससे कीटो का प्रभाव कम रहता है जिससे इसमें कीटनाशको का प्रयोग नहीं या कम करना पड़ता।
- साथ ही , जहा पर सब्जियों की खपत ज्यादा हो वही पर इसका उत्पादन किया जा सकता है जिससे लोगो तक यह ताजी व स्वस्थ रूप में मिलेगी।
इस Vertical Farming विधि से कौन कौन सी फैसले उगाई जा सकती है ?
- इस विधि से ज़्यादातर सब्जिया उगाई जाती है और कुछ फलो पर भी प्रयास शुरू किया गया है। सब्जियों में जैसे - टमाटर , हल्दी , रेंगने वाली सब्जिया ( जैसे - पटल , नेनुआ , सरपुतिया , गोभी , आदि ) .
Vertical farming / खड़ी खेती की तीन तकनीकी :-
वर्टीकल फार्मिंग में पौधों को सीधी खड़ी परत के ऊपर परत की तरह लगाया जाता है इसको तीन तकनिकी के माध्यम से किया जाता है।
- Hydroponics:- इस तकनिकी में पौधों को पानी में मौजूद खनिज व पोषक तत्वों की मदद से उगाया जाता है।
- Aeroponics :- इस तकनिकी के माध्यम से पौधों को हवा या कोहरे की मदद से उगाया जाता है। पौधों की जड़ पूरी तरह से खुली हुई है, जिससे अधिक ऑक्सीजन और तेजी से उत्पादन हो सके।
- Aquaponics :- इस तकनिकी में जलीय कृषि और हाइड्रोपोनिक के बीच एक सहजीवी वातावरण बनाया जाता है , जिसकी मदद से पौधों को उगाया जाता है।
भारत की कुछ वर्टीकल फार्मिंग की कंपनी :-
- Barton Breeze
- urban crop solution
- Sasaki
- Badia Farms
- Altius Farms
- Aero Farms
- Bowery Farming
- Bright farms
- freight farms
- intelligent growth solution
VERTICAL FARMING Vs TRADITIONAL FARMING :-
वर्टिकल फार्मिंग :
- पानी का उपयोग काम से काम होता है .
- प्राकृतिक आपदा से फसल के ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ता।
- कम स्थान में भी ज्यादा उपज लेने में सक्षम है।
- इस विधि से खेती कही भी की जा सकती है , शहर व कस्बो में भी।
- इस विधि में उस स्थान की मिटटी , जलवायु , वातावरण का कोई फर्क नहीं पड़ता।
पारंपरिक खेती :
- पानी का उपयोग ज्यादा होता है .
- प्राकृतिक आपदा या मौसम के बदलाव से फसल का उत्पादन में कमी आ सकती है।
- ज्यादा स्थान में ही ज्यादा उत्पादन हो सकता है।
- इस विधि को शहरो में जहा कृषि की ज़मीन काम होती है वहा नहीं किया जा सकता।
निष्कर्ष : आशा करता हु , vertical farming / खड़ी खेती से जुड़े सभी जानकारियों का समूह आपको पसंद आया होगा कृपया इसे शेयर करे।
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