कुकरी प्रथा क्या है , क्यों कहते है इसे दहेज़ का नया रूप | कुकरी प्रथा का इतिहास | किस राज्यों में आज भी प्रचलित है कुकरी प्रथा | Kukri pratha in Hindi | kukri pratha kya hai | Divya-Article
भारत देश तेज़ी से एक महाशक्ति बनने की ओर आगे बढ़ रहा है और उसके लिए सभी लोगो में समानता और एकता का होना बहुत ज़रूरी है , जिस तरह से आज़ादी के समय बहुत सी कुप्रथाएं थी जिससे औरत और मर्द में समानता नहीं थी।
पुरुष व उच्च जाति प्रधान समाज कभी नहीं चाहेगा कि औरतें भी उनकी बराबरी कर सके , पुराने समय में बहुत से प्रथाएं प्रचलित हो गयी ,उनका उस समय में उपयोग था लेकिन समय के साथ साथ प्रथाएं अपना अस्तित्व खोती गयी जिससे वे आज कुप्रथा का रूप ले लिए है और आज उसकी आड़ में औरतों का हनन व अत्याचार हो रहा है।
कुकरी प्रथा क्या है | Kukri Pratha kya hai
यह एक कुप्रथा है जिसमे नई नवेली दुल्हन की अपनी पवित्रता या विर्जिनिटी ( virginity ) का प्रमाण देना पड़ता है।
इस प्रथा के अनुसार सुहागरात के दिन पति अपनी पत्नी की पवित्रता को जांचने के लिए सफ़ेद चादर और सफ़ेद धागे से बनी कुकरी ले के जाता है और चादर को बेड पर बिछा दिया जाता है और जब नए विवाहित जोड़े पहली बार शारीरिक सम्बन्ध बनाते है तो अगली सुबह उस चादर पर खून के धब्बे ढूढ़े जाते है और उस चादर को समाज के लोगो को दिखाया जाता है।
यदि चादर पर खून के निशान मिलते है तो लड़की को पवित्र ( वर्जिन ) माना जाता है और उसे परिवार के सदस्यो द्वारा मान लिया जाता है।
अगर खून के धब्बे न मिले : तो उसे संप्रदाय के सरपंच दण्डित करते है और उसके ससुराल वाले उसपर अत्याचार करते है मरते पीटते है , उसे किसी से नाजायज सम्बन्ध क़ुबूल करने के लिए मजबूर किया जाता है , और ऐसा न करने पर समाज से भी बहिस्कृत कर देते है।
उसके माता पिता को भी इसका दंड भुगतना पड़ता है उनसे लाखो रुपये का अर्थदंड लिया जाता है और उन्हें भी प्रताड़ित किया जाता है।
कुकरी प्रथा कहा-कहा आज भी प्रचलित है :
यह प्रथा आज भी प्रचलित है :)
- राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के सासी समाज
- महाराष्ट्र में कंजारभाट समाज .
यह कुकरी प्रथा समाज में एक धब्बा है कि आज़ादी के 70 सालों बाद भी आज कई ऐसे इलाके है जहा किसी रोक टोक के ऐसी प्रथाओ का आज भी पालन किया जा रहा है , पूरे भारत में अभी ऐसे बहुत से क्षेत्र है जहा इसका पालन होता है।
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के सासी समाज , और महाराष्ट्र में कंजारभाट समाज के लोग इसे प्रथा के रूप में आज भी मानते है , इस समाज की नई दुल्हनों को वर्जिनिटी का टेस्ट पास करना होता है , ऐसा नहीं करने पर उन्हें दंड सुनाया जाता है और उनके माता पिता पर लाखो का दंड लगाया जाता है।
भारत एक विविध संस्कृति वाला देश है इसमें पूरे देश भर में एक कोने से लेकर दुसरे कोने पर बोली भाषा संस्कृति आदि सब बदल जाता है , वहीं भारत में औरतों को देवी का दर्जा दिया जाता है , लेकिन कुछ क्षेत्रो में आज भी ये कुप्रथाएं प्रचलित है जैसे - दहेज़ प्रथा , कुकरी प्रथा।
कुकरी प्रथा का इतिहास / Kukri pratha History
यह प्रथा अंग्रेजों के समय में शुरू हुई थी जब भारत पर अंग्रेजो का शासन था और उस समय राजपूतो ने इसे शुरू किया था।
इस क्रिया की शुरुवात के पीछे का कारण बताया जाता है कि जब अंग्रेज यहाँ शासन करते थे तो वे यहाँ के लोगो को बहुत प्रताड़ित करते थे और महिलाओं को उठा ले जाते थे और उनके साथ कुकर्म करके कही भी फेक देते थे।
ऐसे में राजपूत महिलाओ को हमेशा शक की नज़र से देखते थे और वे नहीं चाहते थे कि उनकी बनने वाली बहू के पहले से ही किसी और से शारीरिक सम्बन्ध हो।
इसी का परिक्षण करने के लिए एक धागा जिसे कूकरी कहा जाता है , उसका इस्तेमाल किया जाता है।
इसकी शुरुवात राजपूतो से शुरू हुई थी और खत्म भी हो गयी लेकिन राजस्थान के सासी समाज के लोग आज भी इस को प्रथा मान कर इसका पालन करते है।
क्यों प्रशाशन इस पर कोई कानून नहीं बना रहा है ? क्या इसके रोकथाम के लिए कोई कानून नहीं है ?
नहीं ,अभी तक कूकरी प्रथा को रोकने के लिए कोई कानून नहीं है , लेकिन अगर कोई लड़की इसके खिलाफ केस दर्ज कराती है तो उस पर एक्शन जरूर होगा।
लेकिन , इस समाज की लड़किया अपने अधिकार के लिए खड़ी ही नहीं होती और वे जीवन भर उनकी यातनाये , अत्याचार सहती रहती है, समाज के सरपंच द्वारा दी गयी दंड को मानती है।
समाज के दवाब और ससुरालवालों के डर से वो पुलिस के पास भी नहीं जा पाती।
नोट : इस समय तो इसको लोग बिज़नेस या धंधा के रूप में देखते है और चाहते है की वह वर्जिन न हो जिससे उनसे मोटी रकम वसूलने का मौका मिले।
निष्कर्ष : आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से यह जाने कि राजस्थान में व्याप्त एक कुप्रथा - कुकरी प्रथा क्या है और इसका इतिहास , आदि इससे जुड़े सभी तथ्यों को जान लिया।
अतः आप से अनुरोध है की कमेंट में कोई एक टॉपिक सुझाइये . 👇👇👇
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