लोक अदालत क्या है | Lok adalat meaning in hindi | Divya-Article

लोक अदालत क्या है , लाभ व ज़रुरत | Lok adalat meaning in hindi


प्राचीन भारत की न्याय निर्णय प्रणाली को आज भी जीवित रखा गया है जिसे आज हम लोक अदालत के नाम से जानते हैं और आज हम इस आर्टिकल में लोक अदालत का अर्थ ,कार्य व इसकी जरूरत हमे क्यों है ? इसके बारे में हम जानेंगे , तो आइए शुरू करते हैं।

लोक अदालत क्या है ?

लोक अदालत , एक ऐसी अदालत है जहां पर ऐसे केस की सुनवाई की जाती है जो लंबे समय से किसी कोर्ट में रुका हो या ऐसे जिसके मुकदमे अभी चल रहे हो , यह अदालत प्राचीन भारत में प्रचलित न्याय व्यवस्था की तरह काम करती है।

  • यह लोक अदालत तंत्र गांधीवाद के सिद्धांत पर आधारित है।
  • यह अदालत विवाद सुलझाने का विकल्प है जो कम खर्चा में और जल्दी विवाद को सुलझाने का काम करती है ( वैकल्पिक विवाद समाधान ).


लोक अदालत की क्यों है जरूरत

भारत में भारत में 4.5 करोड़ केस लंबित हैं और यह पेशी या मुकदमे लंबे समय से चल रहा है जिससे भारत के कोर्ट में चल रहे केस की मात्रा अब बोझ हो गई है।

यहाँ के केस की प्रक्रिया बहुत लंबी , खर्चीली व रुकी प्रक्रिया है , कोर्ट को कोई साधारण सा भी केस है तो उसका निर्णय आने में ही सालों लग जाते हैं।

कितनी बार तो निर्दोष को भी लंबे समय तक झेलना पड़ता है और दोषी को सजा ही नहीं मिलती है इन्हीं मुसीबतों का सामना करते हुए व कोर्ट पर बोझ कम करने के लिए लोक अदालत की शुरुआत की गयी।

लोक अदालत का इतिहास :

आज़ादी के बाद सर्वप्रथम लोक अदालत का आयोजन 1982 में गुजरात राज्य में किया गया। इस लोक अदालत की लोकप्रियता इतनी तेज़ी से बढ़ी की पूरे देश भर से मांग उठने लगी की लोक अदालत का आयोजन पूरे देश भर में होना चाहिए।

इसकी बढ़ती लोकप्रियता को देख कर इसको वैधानिक दर्जा देना पड़ा। लोक अदालत को सन 1887 में कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम ( Legal Services Authority Act , 1987 ) के तहत वैधानिक दर्जा देना पड़ा।

लोक अदालत से जुड़े कुछ बिंदु :

  • यह लोक अदालत हमें जल्दी व खर्चीले न्याय का विकल्प प्रदान करता है।
  • लोक अदालत में ना कोई जीतता है और ना ही कोई हारता है , जिससे दोनों पक्षों में कोई द्वेष की भावना भी नहीं रहती।
  • विवाद सुलझाने के मामले में लोक अदालत सबसे बेहतर कार्य करती है क्योंकि यह व्यवहार्य, कुशल, अनौपचारिक, आर्थिक रूप से उचित है।
  • आम लोगो का विवाद सुलझाना ही सबसे अच्छी रणनीति है लोगो को शीघ्र , सस्ती व अनौपचारिक न्याय देने का।

लोक अदालत के कार्य क्षेत्र : 

  1. जिला व राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण , उच्च न्यायालय व  सर्वोच्च न्यायालय व तालुक कानूनी समिति कुछ समय के अंतराल लोक अदालत का आयोजन करा सकती है। 
  2. किसी क्षेत्र में  लोक अदालत की कार्यवाही में सेवारत  या सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी शामिल होते है  , और उनकी संख्या आयोजन कराने वाली संस्था  द्वारा निर्देशित  किया जा जाता है ( सामान्यतः लोक अदालत में 1 न्यायिक अधिकारी , अधिवक्ता ( एडवोकेट ) और कुछ सामाजिक कार्यकर्ता सदस्य के रूप में रहते है। 
  3. ऐसे केस जो लम्बे समय से चल रहे है या लोक अदालत दोनों पक्षों के बीच का  विवाद के संबंध में समझौता कराते  हैं : 1. कोई भी मामला जो किसी भी न्यायालय  में चल रहा हो या  जो  उसके समक्ष ही  नहीं लाया गया हो । 

लोक अदालत में किन  मामलों की सुनवाई होती है :  


लोक अदालत में विभिन्न तरीके के मामले की सुनवाई की जाती है। 
 
जैसे - वैवाहिक और पारिवारिक विवाद , आपराधिक मामले , भूमि अधिग्रहण के मामले , श्रमिक विवाद , कामगार मुआवजे के मामले , बैंक वसूली मामले , पेंशन मामले , आवास बोर्ड और श्रम क्रिया निकासी मामले , आवास वित्त मामले , उपभोक्ता शिकायतें मामले , टेलीफोन बिल से संबंधित , बिजली मामला विवाद , हाउस टैक्स विवाद सहित नगरपालिका मामले सेक्टर में आने वाली कंपनिया आदि के मामले की सुनवाई लोक अदालत में किया जाता है। 

किन स्थिति में केस सिविल कोर्ट से लोक अदालत को सौप दिया जाता है : 


निम्न स्थिति में केस सिविल कोर्ट से  लोक अदालत को सौप दिया जाता है :
  1.  दोनों में से कोई एक पक्ष भी लोक अदालत के लिए सहमत हो जाये या 
  2. जब दोनों पक्ष सहमत हो जाये , लोक अदालत में जाने के लिए या 
  3. कोर्ट को ऐसा लगने लगे कि यह कैसे लोक अदालत के लिए उपयुक्त है। 

लोक अदालत से मिलने वाले लाभ :

उच्चतम न्यायलय के अनुसार , लोक अदालत से मिलने वाले लाभ निम्न है :

  • इसमें कोई भी फीस नहीं ली जाती और अगर कोई कोर्ट में चल रहा मुकदमा लोक अदालत में सुलझाया जाता है तो कोर्ट फीस को लौटा दिया जाता है।
  • यहां प्रक्रिया में थोड़ा लचीलापन और विवाद पर तुरंत विचार किया जाता है।
  • यहां कार्यवाही के दौरान साक्ष्य अधिनियम का पालन शक्ति से नहीं किया जाता जिससे दोनों पक्ष सीधे जज से इंटरेक्ट कर सके , अपने सलाह के माध्यम से , जिससे विवाद सुलझाने में आसानी होती है ।
  • अपने अकाउंट के माध्यम से जो कि रेगुलर कोर्ट ऑफ फ्लोर में पॉसिबल नहीं है लोक अदालत में लोगों के विवाद जल्दी और बिना किसी पैसे से सुलझाया जाता है और लॉ कमीशन ऑफ इंडिया के अनुसार यह कम खर्चीला है कम समय में निर्णय देता है आम लोगों के भी समझने योग्य है दोनों पक्ष निर्भय होकर अपने विचार प्रस्तुत कर सकते हैं ना जीत ना हार और उसे उसी समय पर ग्रीवेंस इन रेड ड्रेस और उनके रिश्ते भी खराब नहीं होते हैं

निष्कर्ष : आशा करता हूँ आप को लोक अदालत के बारे में सारी जानकारी मिल गयी होगी , अगर आप को कोई क्वेरी हो तो अवश्य बताये।

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