अंतर फसली प्रणाली का अर्थ | इंटरक्रॉपिंग सिस्टम क्या है | Difference Between Mixed cropping and Inter cropping | Inter Cropping Definition |
वर्तमान समय में विकासशील देशों( जैसे - भारत ) में कृषि की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है लेकिन तेजी से बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण के चलते देश में तेजी से औद्योगिकरण हो रहा है।
जिसके कारण विकासशील देश जैसे भारत में कृषि भूमि कम होती दिखाई दे रही है क्योंकि उन जमीनों पर सड़क , बिल्डिंग , हॉस्पिटल , हाईवे , फैक्ट्री आदि के निर्माण में प्रयोग में लिया जा रहा है।
जिस कारण से उन देशों को अपनी पारम्परिक खेती से ज्यादा उत्पादन देने वाली कृषि के तरीकों की तरफ मुड़ना पड़ रहा है ( जैसे - Inter Cropping system ) जिससे उनके विकास पर भी कोई बाधा ना आए और साथ ही अपने खाद्यान की जरूरत को भी आसानी से पूर्ण कर सकें।
इसी जरूरत को पूरा करते हुए एक कृषि विधि का नाम आता है - Inter cropping system , जिसके बारे में हम आज इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे।
आज के इस ब्लॉग के माध्यम से आपको पता चलेगा कि क्या है - इंटरक्रॉपिंग सिस्टम क्या है | अंतर फसली प्रणाली का क्या अर्थ है इससे जुड़े सभी पहलुओं को बारे में आपको जानने को मिलेगा।
तो आइए जानते हैं !! क्या है इंटर क्रॉपिंग ? | Inter Cropping Definition |
- Inter cropping system/इंटरक्रॉपिंग विधि का अर्थ है एक ही कृषि भूमि पर कई तरह की फसल उगाना।
या
-- कृषि की एक ऐसी विधि है , जिसमें एक ही खेत में एक ही समय पर विभिन्न प्रकार के पौधे लगाए जाते हैं और इससे पॉलिकल्चर या मिक्स्ड कल्चर भी कहते हैं।
Inter cropping system/इंटरक्रॉपिंग विधि :
Inter cropping system/इंटरक्रॉपिंग विधि को विकसित करने का कारण बताया जाता है कि इस विधि के माध्यम से कृषि क्षेत्र के प्रति वर्ग मीटर में उत्पादन बढ़ जाता है जिससे किसानों को अधिक मुनाफा होता है।
और इस माध्यम से हम कम जगह से ज्यादा उत्पादन निकालने में सक्षम रहेंगे जो कि हमारे लिए आवश्यक भी है।
अंतर फसली प्रणाली - सिद्धांत :
- साधारण रूप से पहले तो यह एक प्रकार की खेती है जिसमें एक समय पर दो या दो से अधिक फसलों को एक साथ एक निश्चित दूरी व पैटर्न को ध्यान में रखते हुए खेती की जाती है
- उगाई गयी फसलों में से एक मुख्य फसल होती है और अन्य सहायक फसल होती है जिसमें हमारा मुख्य उद्देश्य होता है कि हम अपने मुख्य फसल उत्पादन को बढ़ाना चाहते हैं।
- साथ ही दोनों फसल एक दुसरे को सहारा व सुरक्षा प्रदान करता है।
- दोनों फसलों का चुनाव करने से पहले यह ज़रूर देख ले कि प्रयोग में लाई जाने वाली फसल एक दुसरे के लिए कोई बाधा तो नहीं बनेंगी ( अर्थात - गहरी जड़ो वाली फसल के साथ ऊपरी व स्तरी जड़ वाली फसल , लम्बे फसल के साथ छोटी फसल , आदि )
- इस विधि को विक्षित करने के पीछे हमारा मुख्य उद्देश्य रहता है यह विधि से मुख्य फसल का उत्पादन बढ़ता है और साथ ही किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी और संसाधनों का उपयुक्त प्रयोग होगा।
- Row intercropping : इसमें फसलों को एक सीधी क्यारी या पंक्ति नुमा क्रम या नियमित पंक्ति में उगाया जाता है. और इन पंक्तियों के बीच में दूरी और स्थान से उत्पादन पर बहुत फर्क पड़ता है। यह तरीका से जमीन का और उर्वरक का अधिकतम और उचित प्रयोग किया जा सकता है।
- Mixed intercropping : इसमें सभी फसलों के बीज को एक साथ मिला कर एक साथ ही बुवाई कर दी जाती है।
- Strip intercropping : इस विधि का प्रयोग ढालू या उचाई वाले खेतो में प्रयोग में लाया जाता है। और यह विधि मिटटी के कटाव को रोकने व क्षरण को रोकने में भी सक्षम होती है। यह विधि पट्टी और मैला भूमि के लिए उपयुक्त है।
- Relay intercropping : इस विधि में दोनों फसलों को साथ नहीं लगाया जाता है , इसमें जो फसल पहले लगाई गयी है उसके पकने के साथ साथ उसमे दूसरी फसल की बुवाई कर दी जाती है। इस तरह से खेत में साल भर फसल रहती है। और इसमें जो उर्वरक पहली फसल से बच गए होंगे उनका प्रयोग बाद में बोई गयी फसलें कर लेंगी।
- इस विधि से प्रयोग में ली गयी कृषि क्षेत्र का उत्पादन बढ़ जाता है।
- इस विधि से प्रति एकड़ भूमि पर अतिरिक्त उत्पादन होगा और किसी विधि की अपेक्षा।
- इस विधि में नुक्सान होने की संभावना बहुत कम होती है।
- यह मिटटी की उर्वरकता को बना कर रखता है।
- यह विधि मिटटी के कटाव व क्षरणता को भी काफी हद तक कम करता है।
- Inter crops खर पतवार व अनचाहे पौधों को भी नियंत्रित करता है और साथ ही अपने सहायक पौधों को सहारा व सुरक्षा भी देता है।
- Inter cropping system में पोषक तत्वों व उर्वरक का भरपूर व कुशल प्रयोग होता है , जिससे उत्पादकता को बढ़ावा मिलता है।
- इस विधि को नकदी फसलों के लिए ज्यादा फायदेमंद मानी गयी है।
- इस विधि में किसान लगातार अपने खेतो से उत्पादन ले सकता है। ( जैसे - रिले क्रॉपिंग में एक फसल के पकने के साथ ही दूसरी फसल को बो दिया जाता है , जिससे खेत एक बार भी खाली नहीं रहता। )
मिक्स्ड और इंटर क्रॉपिंग में अंतर | Difference Between Mixed cropping and Inter cropping |
Inter cropping system |
- किसान उतने ही समय में ज्यादा उत्पादन ले सकेगा जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी।
- इस विधि से किसान लगातार उत्पादन ले सकेगा।
Inter cropping system demerit | Inter cropping system के हानि |
- किसी दो फसलों के स्पर्धा के चलते पैदावार घटने की भी सम्भावना रहती है।
- इस विधि को करना अर्थात एक साथ कई फसलों को संभालना जरा मुश्किल है , क्योंकि जब कई तरह के फसल का प्रयोग होता है तो उसमे कई तरह की फसलों को अलग अलग प्रकार की देख रेख चाहिए।
- इस विधि के चलते आज के नए व आधुनिक औजार का प्रयोग नहीं हो पाता और इसे करने में बहुत समय लगता है।
- सबसे प्रमुख समस्या फसलों की कटाई के समय आती है क्योकि अलग अलग फसलों के पकने का समय दूसरा होता है।
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